कप्तान के जाते ही फिर पुराने धंधे में उतरा गांव
गोविन्द वर्मा
निंदूरा, बाराबंकी। अवैध शराब के कारोबार में डूबा हुआ गांव तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी के जाने के बाद एक बार फिर से पुराने धंधे में उतर गया है। घरों में धधकती हुई अवैध शराब की भट्ठियां फिर से इस गांव की पहचान बन रही हैं। जरायम पेशा लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का संकल्प लेकर जिले में पहुंचे कप्तान ने शराब के कारोबार में लिप्त महिलाओं को समूह के जरिये स्वरोजगार की राह दिखाई जहां महिलाओं के उत्थान और बच्चों की शिक्षा पर कोई बात नहीं होती थी।
कुर्सी थाना क्षेत्र के ऐसे कुख्यात बेहड़पुरवा गांव को पुलिस अधीक्षक डा. अरविंद चतुर्वेदी ने शराब से मुक्त कर स्वरोजगार की दिशा में ले जाने का प्रयास किया था। उन्होंने जिले के लगभग सभी विभागों के अधिकारियों के साथ गांव में चौपाल लगाई और उन्हें मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया। चौपाल के दौरान एसपी को पता चला कि शराब के कारोबार से जुड़े 99 मुकदमे इस गांव में दर्ज हैं। यह जानने के बाद हर कोई दंग रह गया था। बातचीत के दौरान पता लगा कि बेहड़ पुरवा गांव के लोग शराब को ही अपना पुश्तैनी धंधा मानते हैं।
महुआ आदि खरीद कर लाना इसके बाद जिस तरह घर में खाना बनता है उसी तरह भट्टी पर शराब का बनाना। 12 सितम्बर 2020 में चौपाल को संबोधित करते हुए एसपी डा. अरविंद चतुर्वेदी ने कहा था कि उन्होंने चौनपुरवा गांव में लोगों को शराब के कारोबार से दूर जाकर स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित किया है। चौनपुरवा गांव में कुल 94 परिवार में से 90 परिवार शराब बनाने का काम करते थे। समूह में जुड़ने के बाद वहां की 32 महिलाएं मोमबत्ती व अन्य स्वरोजगार करके अपना भाग्य संवार रही है। एसपी ने कहा कि बेहड़ पुरवा गांव भी उसी तर्ज पर होगा। एसपी ने कहा कि चौनपुरवा में शराब के लगातार सेवन से पुरुष इतने अस्वस्थ हो चुके थे कि तमाम काम करने लायक ही नहीं बचे हैं।
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