कोटेदारों को सम्मान के साथ समुचित सुरक्षा भी मुहैया करायी जाय
सोरांव, इलाहाबाद। वर्तमान की महामारी में क्या सम्मान के अधिकार केवल डाक्टर, पुलिस व सफाई कर्मचारी ही हैं? अगर ऐसा है तो गलत है, क्योंकि इनके अलावा कोटेदार भी ऐसा कोरोना योद्धा है जो बिना किसी सुरक्षा के सैकड़ों लोगों के बीच में रहकर उन्हें राशन मुहैया कराता है।
उक्त बातें जनपद के एक कोटेदार ने जिलाधिकारी के अलावा मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुये अपनी बात रखी है। उनके अनुसार आल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर फेडरेशन इकाई के महानगर फिरोजाबाद के अध्यक्ष संतोष कुमार की बीते 17 मई को कोरोना हो जाने से मौत हो गयी। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार को ईश्वर धैर्य एवं हिम्मत रखने की शक्ति प्रदान करें। गुहारकर्ता के अनुसार नगर हो या गांव, इस समय शासन की मंशानुरूप कोटेदार लॉक डाउन का नियम का पालन करते हुए अपने कोटे की दुकान पर सेनेटाइजर आदि की व्यवस्था किये हुए हैं।
साथ ही ग्राहकों को सामाजिक दूरी का पालन करने के लिये स्थान को भी चिन्हित किया है। इसके बावजूद भी ज्यादातर दुकानों पर कोटेदार की बात को अनसुना करते हुए राशन कार्ड ग्राहक सामाजिक दूरी के नियम धज्जियां उड़ाते हुए देखे जा रहे हैं। कोटेदार यदि उनसे सामाजिक दूरी के नियम के पालन करने का निवेदन करते हैं तो ग्राहक झगड़ा करने के साथ मारपीट करने पर आमादा हो जाते हैं। कोटेदारों के इस समस्या को उच्चाधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है जिससे समस्या को संज्ञान में लेते हुए कोटे की दुकानों पर सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए सुचारू रूप के खाद्यान्न का वितरण करने कार्य करवाने में सहयोग प्रदान करें।
क्या कोटेदारों का परिवार नहीं होता है? क्या उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी नहीं है? जिस तरह सरकार दुकानों के लिए नियम बनाया है कि छोटी दुकानों पर दो लोग और बड़ी दुकानों पर 5 लोगों की एंट्री होगी तो क्या ऐसा ही कुछ नियम कोटेदारों के लिए नहीं होना चाहिये? सरकार ने नियम बनाया है कि सुबह से शाम तक राशन बांटों लेकिन उस पर यह प्रतिबंध नहीं लगाया कि सीमित लोगों और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए राशन बांटा जाय। कोटेदारों को प्रशासन और मीडिया से सोशल डिस्टेन्स के नाम पर कोई मदद नही मिल रही है। क्या कोटेदार सम्मान की गिनती में नहीं आते?

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