हिजाब विवाद पर आदित्य ठाकरे का बयान, जानिए क्या है ऐसा…

हिजाब विवाद पर आदित्य ठाकरे का बयान, जानिए क्या है ऐसा…

ड्रेस कोड है तो स्कूल कॉलेज में वही पहना जाना चाहिए: दित्य ठाकरे
….सिविल कोड फॉलो नहीं करना है, तो घर में बैठना चाहिए: करण समर्थ
करण समर्थ
मुंबई। अगर स्कूल कॉलेज में ड्रेस कोड है तो उसके अनुसार ही वेशभूषा होनी चाहिए’ हिजाब विवाद पर आदित्य ठाकरे का यह बयान सबको आश्चर्यचकित कर गयी। जबसे महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार के नाम से शिवसेना एनसीपी तथा कांग्रेस की मिली-जुली सरकार बनी है। तब से शिवसेना अपने हिंदुत्व के मुद्दे से हट गया है, लेकिन कर्नाटक से देशभर फैलाया गया हिजाब जबरदस्ती कांड़ में आदित्य ठाकरे का बयान शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर लौटने के प्रयास में है ऐसा प्रतीत होता है।
कर्नाटक में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के रुप में इसका परिणाम दिखाई देने लगा। इसपर शिवसेना का मानना है कि यदि किसी भी शिक्षा संस्थाओं में पोशाक निर्धारित है, तो विद्यार्थियों को वही पहनना चाहिए। इसपर बहस का कोई मतलब नहीं है, ऐसा महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने कर्नाटक में हिजाब पर विवाद की पार्श्वभूमी पर उन्होंने यह कहा। उन्होंने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की भी अपील करते हुए कहा, ‘हमारा मानना है कि जहां कहीं शिक्षा संस्थाओं की विद्यार्थियों को पोशाक निर्धारित है, उसका अनुपालन किया जाना चाहिए। हमारा मानना है कि स्कूल- कॉलेज में कोई धार्मिक विवाद नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र में हिजाब पहनने के मुद्दे पर सरकार में कोई विवाद नहीं है।
लेकिन इसी वक्त मुंबई से सटे ठाणे में मुस्लिम बहुल बस्तीयों में से एक मुंब्रा में मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब के पक्ष में तख्तियां और बैनर लेकर अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किया। जहां इन प्रदर्शनकारियों ने ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाए। विरोध का नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता रूता आव्हाड ने किया, जो स्थानीय विधायक जितेंद्र आव्हाड के संबंधित है।

और तो और महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल इलाके; बीड शहर में औवेसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब के समर्थन में बैनर लगाए और कहा कि, भारतीय संविधान नागरिकों को उनकी धार्मिक संस्कृति का पालन करने का अधिकार देता है।
बीड के बशीरगंज तथा करंजा इलाकों में सोमवार को ‘पहले हिजाब फिर किताब’ का संदेश देने वाले बैनर सोमवार को लगाए गए लेकिन इसे मंगलवार को प्रशासन ने हटा दिए गए। इस मामले पर देश की समस्या में सही विचार-विमर्श हो, और अच्छे नागरिकों को सामाजिक दायित्व निभाना चाहिए ऐसा माननेवाले फिल्म निर्देशक करण समर्थ तथा पत्रकार का स्पष्ट मत है कि, आज यह मुस्लिम समाज बीना किसी कारण स्कूल कॉलेज में धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर अपनी इच्छा से धार्मिक तर्कों के आधार पर कपड़े पहनकर सार्वजनिक क्षेत्र में आना चाहते हैं, जो गलत है। इसी तरह तो कल यह उनकी इच्छा और अपनी धार्मिक तर्क से संगत पाठ्यक्रम की भी मांग करेंगे। आज इन्हीं के कारण कई जगह की शिक्षा संस्थाओं को बन्द करवाना पड़ा है। जब किसी भी शिक्षा संस्थाओं में दाखिला लेते वक्त यह तो साफ होता है उस संस्था मे; फिर वह सरकारी हो या निजी, उनको सरकारी नियंत्रण में संस्था का संचालन करना पड़ता है।‌ और कुछ नियम होते हैं, उसे मानना होता है। अब जब प्रजातंत्र में किसी भी धर्म समुदाय ने अपने आपको विशेष अधिकार मिलने चाहिए ऐसी दावेदारी करना शुरू किया है, तो यह तो गलत ही है।‌ आजतक कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए इसी गलत नीतियों को सेक्युलरीजम के नाम पर हम पर थोपा है, जो संपूर्णता असंवैधानिक था। पंरतु आज समय आया है कि, हमें किसी एक धर्म को विशेष दर्जा देकर बहुसंख्यक हिन्दू समाज पर अन्याय करें। इसका विरोध होना आवश्यक है और वैसे भी संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता यह व्यक्तिगत जीवन तक सीमित हो ऐसा स्पष्ट निर्देश दिए हैं। जिनको सिविल कोड फॉलो नहीं करना है, तो उन्हें अपने घर में ही बैठना चाहिए, ऐसी विचारधारा वाले समाज को समाज में भ्रम या बन्द या दंगे-फसाद जैसी स्थितियां निर्माण करना मान्य नहीं होगा।

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की मुस्लिम बहुल इलाके मुंब्रा में भी सैकड़ों महिलाओं ने मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हिजाब उनका ‘आभूषण’ है। और दावा किया जा रहा है कि इन प्रदर्शनकारियों में अलग-अलग धर्मों की महिलाएं भी शामिल थीं।
आज एक अच्छी खबर यह है कि कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने से रोके जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ बृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए हिजाब जबरदस्ती गॅंग वालों को जबरदस्त झटका दिया है। इसके लिए मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने बुधवार रात को इस मामले की सुनवाई के लिए पूर्ण पीठ गठित की, जिसमें उनके अलावा न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति के जे मोहिउद्दीन शामिल हैं। इससे पहले, इस मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीक्षित की एकल पीठ ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के पास भेज दिया था और स्वयं किसी अप्रिय स्थिति से बच गए।

इस बीच, कर्नाटक के हिजाब विवाद की गूंज देशभर में सुनाई दी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कपड़ों को लेकर महिलाओं की पसंद का समर्थन किया, जबकि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पोशाक मुद्दे को ‘सांप्रदायिक रंग’ दिए जाने की आलोचना की। वहीं राज्य में शैक्षणिक संस्थान पूरी तरह से बन्द रहने से दिखाई देनेवाली शांति रही। लेकिन लाखों विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रहना पड़ा। हिजाब पहने हुई लड़कियों के दाखिल होने के कारण विरोध में उतरे भगवा गमछा लिए हुए लड़कों के आमने-सामने आने के बाद मंगलवार को कई शैक्षणिक संस्थानों में तनाव की स्थिति बन गई थी, लेकिन सब बन्द करवाने कारण बुधवार तथा बृहस्पतिवार को शांति रही।

स्कूल-कॉलेज परिसर में हिजाब पर पाबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश दीक्षित ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के पास यह कहते हुए भेज दिया कि, मुख्य न्यायाधीश इस मामले पर गौर करने के लिए बड़ी पीठ के गठन का फैसला कर सकते हैं। वहीं राज्य कैबिनेट ने हिजाब विवाद पर कोई भी फैसला लेने से पहले उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करने का निर्णय किया है। लेकिन अब इस फैसले से कैबिनेट का रास्ता साफ हुआ है।

राज्य के उडुपी जिले के सरकारी महाविद्यालयों में पढ़ने वाली कुछ मुस्लिम लड़कियों ने चार दिन पहले अचानक हिजाब के साथ कक्षाओं में प्रवेश किया। जिसपर उन्हें रोक गया और हिजाब गॅंग व्दारा इस निर्णय के विरुद्ध याचिका दायर की गई। अब मामलों की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि, पर्सनल लॉ के कुछ पहलुओं के मद्देनजर ये मामले बुनियादी महत्व के कुछ संवैधानिक प्रश्नों को उठाते हैं।
आगे न्यायमूर्ति दीक्षित ने कहा, ‘ऐसे मुद्दे जिन पर बहस हुई और महत्वपूर्ण सवालों की व्यापकता को देखते हुए अदालत का विचार है कि, मुख्य न्यायाधीश को यह तय करना चाहिए कि क्या इस विषय के लिए एक बड़ी पीठ का गठन किया जा सकता है।’ आगे न्यायमूर्ति दीक्षित ने आदेश में कहा, ‘पीठ का यह भी विचार है कि अंतरिम अर्जियों को भी बड़ी पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए, जिसका गठन मुख्य न्यायाधीश अवस्थी द्वारा किया जा सकता है क्योंकि यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।’
हिजाब विवाद को लेकर तनाव के मद्देनजर राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्य के सभी हाई स्कूल और कॉलेजों को तीन दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया था, जिसके बाद शैक्षणिक संस्थानों में शांति रही। सूत्रों ने जानकारी दी कि उनमें से ज्यादातर पठन-पाठन के ऑनलाइन मोड में लौट आए। पूरे राज्य में प्राथमिक विद्यालय में कामकाज बिना किसी रुकावट के सामान्य रूप से संचालित हुआ।
कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन तेज होने तथा कुछ जगहों पर इसके हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद सरकार ने राज्य के सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों में तीन दिन का बन्द घोषित कर दिया था। और राज्य मंत्रिमंडल ने कभी-भी संवेदनशील बन सकते हैं ऐसे हिजाब विवाद पर कोई भी फैसला लेने से पहले उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करने का निर्णय किया है।
कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा, ‘हमने अपने मंत्रिमंडल में हिजाब विवाद पर चर्चा की, पर अब उच्च न्यायालय इस मामले में सुनवाई कर रहा है, तो मंत्रिमंडल ने तय किया कि आज इस मामले पर निर्णय लेना उचित नहीं होगा। कोई भी निर्णय लेने से पहले न्यायालय के निर्णय का इंतजार करने का निर्णय लिया गया।’
ज्ञात हो पिछले हफ्ते कर्नाटक सरकार ने राज्य के स्कूलों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में छात्रों के लिए अपने या निजी संस्थानों के प्रबंधन द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म को अनिवार्य बनाने का आदेश जारी किया था।

कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र और राजस्व मंत्री आर अशोक ने कांग्रेस पर हिजाब विवाद को हवा देने का आरोप लगाया। ज्ञानेंद्र ने कहा, ‘कांग्रेस नेता हिजाब मुद्दे पर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। अगर वह आगे भी ऐसा ही करते रहे तो कर्नाटक के लोग उन्हें अरब सागर में फेंक देंगे।’ तो इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने आरोप लगाया कि, संघ परिवार गड़बड़ी पैदा कर रहा है। इसपर कर्नाटक सरकार ने पूर्व में ही कहा था कि, हिजाब विवाद को भड़काने वाले सीएफआई की भूमिका की जांच की जाएगी। कर्नाटक में छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर उठे विवाद पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने कहा कि, कोई महिला क्या पहनेगी यह तय करने का अधिकार किसी को नहीं है। प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘चाहे वह बिकनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब हो, यह फैसला करने का अधिकार महिलाओं का है कि उन्हें क्या पहनना है। उन्हें यह अधिकार भारतीय संविधान ने दिया है। तो महिलाओं का उत्पीड़न बंद करो।’

अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ लोग ‘भारत की समावेशी संस्कृति को बदनाम करने की साजिश’ के तहत ‘ड्रेस कोड’ और संस्थानों के अनुशासन के फैसले को ‘सांप्रदायिक रंग’ दे रहे हैं, जिसे हम रोकेंगे।
इसी पार्श्वभूमी पर, मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने कहा कि, अब तक तो राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। एक दिन पहले हिजाब पर प्रतिबंध का समर्थन करने और प्रदेश के स्कूलों में ‘यूनिफॉर्म कोड’ का मतलब सबको एक समान पोशाक लागू करने का बयान पर हंगामा खड़ा होने पर मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मेरे इस बयान का गलत अर्थ निकालकर गलत संदर्भ में देश के सामने रखा है।’ यह किस ओर संकेत दे रहा यह आज समझना थोड़ा मुश्किल है।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, मध्यप्रदेश में हिजाब पहनने को लेकर ना कोई कोई विवाद है और ना ही हिजाब को ‌लेकर कोई प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार के पास विचाराधीन है। लेकिन फिर भी देशभर में लाखों विद्यार्थियों को शिक्षा से चार दिनों से वंचित रहना पड़ा इस गंभीर स्थिति को नजरंदाज करना नहीं चाहिए।

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