खेतों में फसल अवशेष जलाने को अपर जिलाधिकारी ने किया आगाह

खेतों में फसल अवशेष जलाने को अपर जिलाधिकारी ने किया आगाह

अधिकारी ने पर्यावरण को दूषित होने से बचने के लिये किसानों को किया जागरूक
संतोष तिवारी
मैनपुरी। अपर जिलाधिकारी रामजी मिश्र ने बताया कि जनपद में खरीफ में लगभग 1.4 लाख हे. क्षेत्रफल, जिसके सापेक्ष धान 0.65 लाख हे. तथा रबी में 1.7 हे. क्षेत्रफल के सापेक्ष 1.53 लाख हे. क्षेत्रफल में गेहूं की खेती की जाती है। विगत कुछ वर्षो में कृषक मजदूरों की कमी तथा विशेषकर धान एवं गेहूं की कम्बाइन से कटाई, मढ़ाई होने के कारण अधिकांश क्षेत्रों में कृषकों द्वारा फसल अवशेष जलाए जा रहे हैं जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होने के साथ मिट्टी के पोषक तत्वों की अत्यधिक क्षति होती है। साथ ही मिट्टी की भौतिक दशा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने बताया कि 01 टन धान के फसल अवशेष जलाने से 03 किग्रा. कणिका तत्व, 60 किग्रा. कार्बन मोने ऑक्साइड, 1460 किग्रा. कार्बन डाइ ऑक्साइड, 199 किग्रा. राख एवं 02 किग्रा. सल्फर डाइ ऑक्साइड अवमुक्त होता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है जिससे आंखों में जलन एवं त्वचा रोग तथा सूक्ष्मकणों के कारण जीर्ण ह्रदय एवं फेफड़ों की बीमारी के रूप में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि 01 टन धान का फसल अवशेष जलाने से लगभग 05.50 किग्रा. नाइट्रोजन, 02.3 किग्रा. फास्फोरस ऑक्साइड, 25 किग्रा. पोटेशियम ऑक्साइड, 1.2 किग्रा. सल्फर, धान के द्वारा शोषित 50 से 70 प्रतिशत सूक्ष्म पोषक तत्व एवं 400 किग्रा. काबर्न की क्षति होती है।

पोषक तत्वों के नष्ट होने के अतिरिक्त मिट्टी के कुछ गुण जैसे भूमि तापमान, पीएच मान, उपलब्ध फास्फोरस एवं जैविक पदार्थ भी अत्यधिक प्रभावित होते हैं। उन्होने कहा कि कृषकों को गेहूं की बुवाई की जल्दी होती है तथा खेत की तैयारी में कम समय लगे एवं शीघ्र ही गेहूं की बुवाई हो जाए। इस उद्देश्य से कृषकों द्वारा फसल अवशेष जलाने के दुष्परिणामों को जानते हुए भी फसल अवशेष जला देते हैं। जिसकी रोकथाम करना पयार्वरण के लिए अपरिहायर् है।

अपर जिलाधिकारी ने कहा कि उक्त को ध्यान में रखते हुए मा. राष्ट्रीय हरित अभिकरण नई दिल्ली के द्वारा फसल अवशेषों को जलाना दंडनीय अपराध घोषित किया गया है तथा कृषकों को फसल अवशेष जलाते हुए पकड़े जाने पर अथर्दंड की कारर्वाई का भी प्राविधान किया गया है। उन्होने कहा कि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड़ से कम होने की दशा में 2500 रू. प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड़ से अधिक एवं 05 एकड़ से कम होने की दशा में 05 हजार रू. प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल 05 एकड़ से अधिक होने की दशा में 15 हजार रू. अथर्दंड प्रति घटना के हिसाब से कायर्वाही किये जाने का प्रावधान किया गया है। कम्बाइन हावेर्स्टिंग मशीन का रीपर के बिना प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है।

फसल अवशेष के जलाए जाने की पुनरावृत्ति होने की दशा में (लगातार दो घटनाओं के होने की दशा में) संबंधित कृषक को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं यथा अनुदान आदि से वंचित किए जाने की कायर्वाही के भी निदेर्श राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा दिए गए हैं। उन्होने समस्त कृषकों से कहा है कि किसी भी फसल के अवशेषों को खेतों में न जलाएं बल्कि मृदा में कार्बन पदाथों की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा में मिलाने, सड़ाने हेतु शासन द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर मिल रहे कृषि यंत्र यथा सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, पैडी स्ट्राचापर, मल्चर, कटर कम स्प्रेडर, रिवसेर्बुल एम.बी.प्लाऊ, रोटरी स्लेशर, जीरोट्रिल सीडकम फटिर्लाइजर ड्रिल एवं हैप्पी सीडर इत्यादि का प्रयोग करके मृदा को स्वस्थ बनाएं।

आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।

कोई भी विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित न रहे: जिलाधिकारी

Tearful tribute on the death of former Chief Minister of Uttar Pradesh and Patron of Samajwadi, respected Mulayam Singh Yadav: Vivek Yadav (SP leader), Jaunpur

Jaunpur News: Two arrested with banned meat

Jaunpur News : 22 जनवरी को होगा विशेष लोक अदालत का आयोजन

Job: Correspondents are needed at these places of Jaunpur

बीएचयू के छात्र-छात्राओं से पुलिस की नोकझोंक, जानिए क्या है मामला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Read More

Recent