ऐलिया की सात ग्राम सभाएं बन गयी घोटाले की खान | #TEJASTODAY
विशाल रस्तोगी सीतापुर। ऐलिया की सात ग्रामसभाएं वर्तमान समय में घोटालो की खान बन गयी है। इस ग्रामसभाओं के सचिव व प्रधान की तो बल्ले बल्ले हो रही है लेकनि जनता परेशान हेा रही है क्येाकि जनहितकारी योजनाओ को सचिव व प्रधान ने अपनी आमदनी का जरिया बना रखा है और ब्लाक स्तर पर तैनात अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नही की जा रही है।
जिससे घोटालेबाज सचिवों और प्रधानों के दिमाग सातवें आसमान पर चल रहे है गौर तलब हो कि विकास खण्ड ऐलिया की करीब सात ग्रामसभाओं में घोटालो के जिन्न पूरी तरह से समा गये है। इन ग्रामसभाओं से हर रोज घोटाले के जिन्न निकलकर चर्चाओं के बाजार को गर्म कर रहे है। इतना ही नही ग्रामसभाओं में जनहितकारी येाजनाओं का लाभ पात्रो को नही मिल रहा है योजनाओं का लाभ पाने के लिये पात्रो को एक कीमत चुकानी प़ड़ी रही है।
ग्रामसभा प्रधान और सचिव द्वारा योजनाओं को दीमक की तरह चाटा जा रहा है इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान न दिया जाना अहम है। वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण काल चल रहा है। सीतापुर मेें कोरोना का कहर है इस कारण पूरा प्रशानिक अमला कोरोना खत्म करने में जुटा हुआ है इसका पूरा पूरा फायादा सचिव और प्रधान द्वारा उठाया जा रहा है। जो भी विकास कार्य करवाये जा रहे है उसमे जमकर कमीशन बाजी हो रही है।
प्रधान व सचिव यह भ भूल गये है कि आज संक्रमण काल है कल संक्रमण खत्म हो जयेगा लेकिन जो घेाटाले किये जा रहे है वह आज नही तो कल अधिकारियों की निगाहों में आयेगी क्या ऐसे हालातों में प्रधान और सचिव प्रशासन की कार्यवाही से बच पायेगें। कार्य के भय से बेखौफ संचिव व प्रधान वर्तमान समय में अपनी जेबो का वजन तौलने में जुटे हुए है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार विकास खण्ड ऐलिया की करीब पांच ग्रासभाएं वर्तमान समय में चर्चा का विषय बनी हुई और बताया जा रहा है कि यहां कि महिला सचिव और प्रधान दोनेा लोग मिलकर अपनी अपनी जेबो का वजन तौलने में व्यस्त है।
सूत्रो द्वारा दावा किया जा रहा है कि ऐलिया विकास खण्ड की ग्रामसभा भेलावां खुर्द, हरनी, खगेसिया मऊ, मथना, बिकटोरिया ग्रण्ट, हेमपुर कचनार में घोटालो की बाढ़ आ गयी है। यहां पर पात्रों को ईमानदारी के साथ योजनाओं का लाभ नही दिया जा रहा है। बिना पैसो के पात्र को योजनाओं का लाभ नही दिया जा रहा हैं। चाहे मामला प्रधान मंत्री आवास योजना का हो या फिर शौचालय का हर योजना का लाभ पाने के लिये पात्र को कीमत चुकानी पड़ती हैं। योजनाओं का लाभ पात्रो को मिले इसके लिये शासन और सरकार चिन्तित है।
सरकार नये नये तरीको के साथ योजनाओं को पंचायत स्तर तक इस आशय से भेजती है कि योजनाओं का लाभ हर हाल में पात्र को मिले लेकिन यहां बैठे प्रधान और सचिव सहित अन्य धन लालची अधिकारी इन सख्त निर्देशों से भी अपनी आमदनी का जरिया खोज ही लेते हैं। सरकार ने इस बार आवास और शौचालय में सीधे पात्र के खाते में पैसा डालने की योजना बनायी है।
लेकिन प्रधान व सचिव ने पात्र से पैसा कैसे लिया जाये उसका विकल्प निकाल लिया है। पात्र को पात्र घोषित करने की रकम तय की जाती है। कुछ पैसा नगद लिया जाता है उसके बाद खाते में जब पैसा आ जाता है तब यह लोग पूर्व वार्ता के अनुसार पात्र से पैसा ले लेते है इस तरह से प्रधान और सचिव द्वारा खेल खेला जा रहा है जिसकी चर्चा की जा रही है।