भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है | #TejasToday
भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है | #TejasToday
कर्म का मार्ग जग में है सबसे कठिन
चलते चलते जहां लोग थक जाते हैं
जब अंधेरा दिखा कर्म की राह में
होके लाचार बेबस वो रूक जाते हैं
कर्म औ भाग्य दोनों का संयोग है
भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है।
आयु विद्या धनम् कर्म निधनं तथा
गर्भ में हीं नियत पञ्च हो जाते हैं
पञ्च इन्द्रिय सदा ज्ञान औ कर्म की
शक्ति अनुरूप जीवन में खो जाते हैं
भोग इनका भी जीवन का एक रोग है
भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है।
कर्म की प्रेरणा भाग्य से है नहीं
मात्र पुरुषार्थ हीं इसका आधार है
कर्म सम होता जग में जनों का भले
फल विषम होना हीं भाग्य का सार है
मिलता सम्बल यही दैव का योग है
भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है।
कर्म जीवन में निष्फल भले हीं रहे
पन्थ आगे का निश्चित दिखा देती है
जो कमी कर्म पथ में है कंटक बनी
दूर कर फिर से चलना सिखा देती है
कर्म करते सतत् वह भले लोग है
भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है।
कर्म पूजा यहां भाग्य आराधना
भाग्य हीं दूसरा नाम ईश्वर का है
प्रभु समर्पित सदा कर्म हो गर मेरा
सिद्धि होती नियत ज्ञान गीता का है
कर्म से भाग्य का हीं सदुपयोग है
भाग्य से भी बड़ा कर्म का भोग है।।
रचनाकार- डाॅ. प्रदीप कुमार दूबे
(साहित्य शिरोमणि) शिक्षक/पत्रकार
सम्पर्क सूत्र 9918357908