17 महापौर 4 पिछड़े वर्ग, उसमें भी वैश्य को टिकट नहीं, आखिर क्यों

17 महापौर 4 पिछड़े वर्ग, उसमें भी वैश्य को टिकट नहीं, आखिर क्यों

अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने किया सवाल
अजय जायसवाल
गोरखपुर। नगर निकाय चुनाव में भाजपा की केन्द्र सरकार ने जाति-आधारित जनगणना क्यों नहीं कराई, इसका एक मात्र कारण पिछड़ों को उसका हक़ नहीं देना चाहती है। जाति-आधारित जनगणना हुई होती आज यह स्थिति नहीं होती, इसलिए 17 में से मात्र चार महापौर की सीट पिछड़ों को मिला है, उसमें भी एक भी पिछड़े वैश्यों को टिकट नहीं दिया गया जबकि वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर, झांसी व सहारनपुर है।

पिछड़े वैश्यों की जनसंख्या 25 से 30 प्रतिशत है। वैसे अधिकत्तर महानगरों में लगभग 20 से 25 प्रतिशत है। ऐसी स्थिति नगर पालिका व पंचायत अध्यक्ष एवं पार्षद की सीट पर है। पिछड़ों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए अधिक जनसंख्या होने पर कम टिकट दिया गया है। 1931 जनगणना में पिछड़ों की जनसंख्या 52 प्रतिशत रही जो आधे से अधिक है। जनसंख्या के अनुसार 17 में से 9 महापौर की सीट पर पिछड़ों का होना चाहिए। वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत पिछड़ों की जनसंख्या है। उस हिसाब से कम से कम 10 पिछड़े महापौर चुने जाते, इसलिए केन्द्र सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती है।

यानी 17 मे 10 महापौर होते तो सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी मिलती किन्तु नहीं मिल रहा। इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी आंख बंद कर बिना सोचे समझे पिछड़े, वैश्यों, दलितों, आदिवासियों एवं कुछ भाजपा से उपेक्षित सवर्णो द्वारा मतदान करना है। अभी भी समय है, सचेत हो जायं। उक्त बातें अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष ध्रुव चन्द जायसवाल ने कही।
उन्होंने कहा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व मेरे समाज कलवार कलाल कलार को 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनावों में एक भी जायसवाल समाज के लोगों को टिकट नहीं दिया था।

इसका विरोध महासभा ने भाजपा निवर्तमान उत्तर प्रदेश अध्यक्ष से किया गया था। उनके हस्तक्षेप से मेरे समाज के तीन नये जायसवाल लोगों को पिछले विधानसभा में टिकट दिया गया था। तीन पहले से विधायक थे। टिकट देने पर महासभा की ओर से बधाई दिया था। इस बार पुनः भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व ने नगर निकाय चुनाव में जायसवाल समाज को एक भी महापौर का टिकट नहीं देकर अपनी मंशा जगजाहिर कर दिया है। बार-बार महासभा द्वारा निवेदन करने पर भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व पर असर नहीं दिख रहा है।

अपने समाज एवं पिछड़े वैश्यों से अपील है कि अपने आने वाली पीढ़ी के भविष्य में ध्यान रखते हुए एक बार झटका देते हुए मतदान करने की कृपा करेंगे तो आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के पूर्व महासभा की मांगों पर भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व विधान परिषद एवं राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका देने पर सोचने के लिए बाध्य होगी तथा 2024 लोकसभा चुनाव में भी समाज के लोगों को टिकट मिल सकता है। पिछड़े वैश्यों ने वैश्य बाहुल्य महानगरों में भाजपा को झटका दिया तो पिछड़े वैश्यों को पार्टी संगठनों एवं सत्ता में पहुंचने का रास्ता भी खुल जायेगा। उक्त मुद्दों पर महासभा गम्भीरता से विचार कर रही है।

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