वाह रे अध्यक्ष! अपने ही स्टाफ से करवा ली जांच और अध्यापक को बता दिया दागी
क्या प्रबन्ध तंत्र ने शिक्षक से बतौर रिश्वत के नहीं मांगे थे तीन लाख रूपये?
प्रबन्ध तंत्र की कार्यप्रणाली में दिख रहा खोट, परेशान हो रहा शिक्षक
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। भले ही इण्टर कालेज का प्रबन्धत तंत्र और पीड़ित शिक्षक एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। दोनों पक्ष अपने साक्ष्य एकत्र कर रहे हैं और अपनी अपनी बात रख रहे है। अध्यक्ष का आरोप शिक्षक पर आरोप है कि शिक्षक कायदे से कार्य नहीं कर रहा है तो शिक्षक का कहना है कि हम कार्य कायदे से कर रहे हैं लेकिन विद्यालय के प्रबन्ध तंत्र द्वपारा हमसे 3 लाख रूपये की बतौर रिश्वत के मांग की गयी। हम नहीं दे सके। इस कारण हमारे विरूद्ध जांच करवाने के साथ हमें जेल भिजवाने की धमकी तक दी जा रही है। प्रबन्ध तंत्र द्वारा यह भी धमकी जा रही है कि वह हमारे चरित्र को दागदार कर देंगे। मामला पुलिस संज्ञान में है, क्योंकि इस बवाल में खून के परनाले बहने की आशंका जताई जा रही है। इस कारण पुलिस मामले को गम्भीरता से तो ले रही है लेकिन इस गम्भीर मसले का समाधान नही करवा पा रही है। 3 लाख की हकीकत क्या है?
क्या प्रबन्धक व अन्य तंत्र ने शिक्षक से 3 लाख रूपये की मांग की सबसे गम्भीर प्रश्न यही और विवाद की पूरी कहानी यही से शुरू होकर तीन यही पर खत्म होती है। इस सम्बन्ध में जब पहले जब विधायक के प्रबन्धक से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होने अपना मोबाइल फोन नही उठाया इसके बाद इस संवाददाता ने इण्टर कालेज के अध्यक्ष सर्वेश दीक्षित का फोन मिला तो उन्होंने बताया कि गलत मैं नहीं हूं, गलत राकेश है। वह अपना कार्य कायदे से नहीं करते हैं और कार्य ठीक तरह से करने की हिदायत देने पर वह हमारे विरोध में कार्यवाही कर रहे हैं। अध्यक्ष का कहना था कि राकेश द्वारा हम पर तरह तरह के आरोप लगाये जा रहे हैं। हमने इस मामले की जांच करवाई है जिसमें राकेश दोषी है। जब अध्यक्ष से पूछा गया कि जांच किसने की तो उन्होंने खरे शब्दों में कहा कि जांच अपने विद्यालय के लोगों ने की।
उन्होंने कहा कि जांच समिति ने विद्यालय के उप प्रबन्धक के साथ अन्य कर्मचारियों की समिति बनाई गयी थी जिसकी जांच आख्या में वह दोषी पाये गये। जब अध्यक्ष से पूछा गया कि आप कर्मचारी और पदाधिकारी आपके ही थे। आपके अधीन थे तो वह निष्पक्ष जांच कैसे कर सकते है? क्योंकि जांच तो उन लोगों से कराई गयी तो पीडित शिक्षक का एक तरह से विरोध ही करते थे। इस पर अध्यक्ष ने गोल मोल जवाब दिया। तो वही शिक्षक का कहना है कि मैंने जो भी शिकायत की है, वह सही की है। कहीं से कुछ भी छिपाया नहीं है।
मुझसे विद्यालय मैनेजमेण्ट द्वारा 3 लाख रूपये मांगे जा रहे हैं। न देने पर मुझे निष्कासित किया जा चुका है। इसका प्रमाण यह बताया जा रहा है कि आदर्श इण्टर कालेज में इसी तरह का विवाद एक बार और भी हो चुका है। ऐसी जानकारी सूत्रों द्वारा की जा रही है। अगर सूत्रों के दावे सही हैं और इसी तरह एक और मामला इस विद्यालय में हो चुका है। शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुका है और उसकी पेंशन भी लटकी पड़ी है। अगर सूत्रों के दावे सही हैं तो खोट तो प्रबन्धक और अध्यक्ष में ही नजर आ रही है।
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