एनटीपीसी कम्पनी आखिर क्यों करती है अपने सयंविदाकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार?

एनटीपीसी कम्पनी आखिर क्यों करती है अपने सयंविदाकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार?

सचिन चौरसिया
ऊंचाहार, रायबरेली। वैसे तो एनटीपीसी का नाम प्रदेश भर में विख्यात है लेकिन नाम से कुछ नही होता, कुछ काम जिम्मेदारी पर भी आते है। अफसोस इस बात है कि करोड़ों रुपए का राख टर्नओवर करने वाली एनटीपीसी आखिर अपने ही संविदाकर्मी कर्मचारियों के साथ क्यों करती है सौतेला व्यवहार? बता दें कि अरखा स्थित ऐशपांड पर आने जाने वाले वाहनों की संख्या दर्ज कर उनको परमिट देने के लिए कर्मचारी बैठाए गए हैं । जहां ठंड से बचने के कोई उपाय न होने के कारण बीमार हो रहे हैं। एक कर्मचारी की रात में हालत खराब होने पर उसे सीएचसी में भर्ती कराया गया है।

अरखा स्थिति ऐश पांड से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में ट्रक राख भरकर निर्माणाधीन हाईवे समेत सीमेंट की कंपनियों में ले जाते हैं जिनके प्रवेश व निकासी दर्ज करने के लिए एक छोटी सी बिना दरवाजे की छत दार कोठरी बनाई गई है। कोठरी मे दरवाजा व खिड़कियां न होने की वजह ठंड के मौसम में ओस के साथ सर्द हवा अंदर प्रवेश करती है जिसकी वजह से वहां बैठाए गए संविदा कर्मी कर्मचारी की हालत पतली हो जाती है।

शुक्रवार की रात ड्यूटी पर तैनात कुसमी गांव निवासी संतोष कुमार की ठंड के कारण तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उसके साथी हीरा यादव ने राख उपयोगिता विभाग के प्रबंधन को फोन कर इसकी सूचना दी। आरोप है कि कंपनी के जिम्मेदार हारून द्वारा बीमार व्यक्ति का समुचित उपचार न करा कर घर ले जाने को कहते हुए फोन काट दिया जिसके बाद साथी युवक द्वारा एंबुलेंस से सीएससी लाया गया जहां उसका उपचार किया गया। सीएचसी अधीक्षक डॉ मनोज शुक्ला ने बताया कि बीमारी की हालत में संतोष द्विवेदी को सीएचसी लाया गया था जिसका उपचार किया गया है।

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