अखिलेश यादव ने करहल की सीट छोड़ी तो कौन होगा प्रत्याशी? सपा के सामने बड़ा सवाल

अखिलेश यादव ने करहल की सीट छोड़ी तो कौन होगा प्रत्याशी? सपा के सामने बड़ा सवाल

आगरा। सत्ता पाने की जंग हारने के बावजूद सपा मुखिया अखिलेश यादव मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर बड़ी जीत हासिल करने के कामयाब रहे। पर नतीजों के बाद उनके विधायक या सांसद बने रहने को लेकर कयासों का दौर चल रहा है। जिले में, खासकर करहल क्षेत्र के लोग चर्चाओं में लगे हैं कि अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद रहेंगे या फिर करहल से विधायक। हालांकि विधायकी छोड़ने की चर्चाएं ज्यादा हैं। इसके साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि उनकी जगह सपा से चुनाव कौन लड़ेगा। इनमें रामगोविंद चौधरी से लेकर सैफई परिवार के सदस्यों के नाम भी उछल रहे हैं।


मैनपुरी की करहल सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी बघेल को 66782 वोटों के अंतर से पराजित किया है। अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद भी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा मुखिया करहल विधानसभा सीट छोड़ेंगे। सांसद रहकर वह राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका अदा कर सकेंगे। कयास लग रहे हैं कि करहल सीट पर पूर्व विधायक सोबरन सिंह यादव या सैफई परिवार के किसी सदस्य को लड़ाया जाएगा। सोबरन सिंह चार बार के विधायक हैं और 2007, 2012 और 2017 में वह सपा की टिकट पर लगातार विधायक बने थे। उन्होंने ही अखिलेश यादव से पहले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी करहल सीट का चुनने का अनुरोध किया था। ऐसे में उनको प्रत्याशी बनाने की संभावनाएं प्रबल बताई जा रही हैं। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि मैनपुरी के अपने गढ़ पर पकड़ मजबूत रखने के लिए सैफई परिवार के किसी सदस्य को भी लड़ाया जा सकता है। इनमें अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव के नाम चर्चाओं में हैं। हालांकि इस चुनाव में अखिलेश यादव ने प्रगतिशील समाजवादी के अध्यक्ष शिवपाल यादव को छोड़कर किसी स्वजन को टिकट नहीं दिया। माना गया था कि अखिलेश परिवारवाद के आरोपों को कुंद करना चाहते हैं। ऐसे में सैफई परिवार के किसी सदस्य को प्रत्याशी बनने की संभावना निर्बल बताई जा रही हैं। परंतु कयासों में तीसरा नाम सबसे दिलचस्प है। यह नाम हैं नेता प्रतिपक्ष रहे रामगोविंद चौधरी का। पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोविंद चौधरी इस बार बलिया की बांसडीह विधानसभा से चुनाव लड़े थे और हार गए। माना जा रहा है कि करहल सपा के लिए सेफ सीट है और उनको यहां से लड़ाया जा सकता है। जिससे आगे उन्हें फिर से नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सके। हालांकि पार्टी नेताओं से लेकर सैफई परिवार तक की तरफ से इसे लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। मुलायम ने जब-जब छोड़ी सीट, तब लड़े परिवार के सदस्य अखिलेश के सीट छोड़ने पर परिवार के किसी सदस्य के चुनाव लड़ने की संभावना अधिक होने के लिए लोकसभा चुनाव का उदाहरण दिया जा रहा है। 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव उपचुनाव में प्रत्याशी बनाए थे। इसी तरह वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। तब उनके पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव का सपा ने प्रत्याशी बनाया था।
साभार

 

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