मतदान का दौर शुरू है जनता से क्या कहना है
तुम ही कन्हैया तुम्ही हो राधा तुम ही से तो डरना है।
अपनी मर्जी जिस पर डाला उसका बेड़ा पार हुआ
पूजा, बंदन, अभिनंदन सब तेरे बिन बेकार हुआ।
राष्ट्रीयता की भीड़ लगी मेरी प्रार्थना कर दो पूरा
कुछ नहीं होगा अब बाकी काम नहीं रहेगा अधूरा।
माला, फूल, मंदिर, मस्जिद सबका चक्कर कर डाला
तेरी प्रार्थना नहीं कर सका आज यहां चक्कर डाला।
तेरी कृपा से हे मानव सब मिल जाएगा विश्वास है
जनता मेरी भाग्य बदल दे बस इतनी सी आश है।
करुणा का कुछ स्वर गूंजेगा लोकतंत्र के भीड़ में
भारत माता बोल रही हैं हर गली, हर नीड़ में।
रुपया, पैसा, महल, अटारी यह सब हैं कहने में क्या
देश चले विकास के पथ पर अपना मत देने में क्या।
काम धाम अपना सब छोड़ो पोलिंग बूथ से नाता जोड़ो
अपना वोट डालकर भाई विकास के सारे रास्ते जोड़ो।
नहीं किसी से डरना भाई अभिनंदन पत्र तुम्हारा है
सोच समझ कर मशीन चलाना यह अधिकार तुम्हारा है
पांच साल के बाद तुम्हारा यह अधिकार मिलेगा
न जाने किस वेश में तुमको विकास का रूप दिखेगा।
जिला प्रशासन जाग रहा है लोकतंत्र की अगवाई में
घर परिवार सब मिलकर जागो मतदान करो तन्हाई में
शासन—प्रशासन को देखो अपनी आंखें खोले सब
लोकतंत्र के पर्व में आओ भारत की जय बोले सब।।
राष्ट्र ध्वजा फहराकर अब हम मानवता का पाठ पढ़े
हुआ प्रभात कुछ नया देखकर लोकतंत्र का भाव गढ़े।
देवी प्रसाद शर्मा ‘प्रभात’
जनपद—आजमगढ़।
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