समान नागरिक संहिता!
देर -सबेर सरकार यूनिफार्म
सिविल कोड लानेवाली है,
क़ानून की नजर में हमें
समान सूत्र में बाँधने वाली है।
शादी, तलाक, एडॉप्शन, विरासत
के लिए होगा समान क़ानून,
जमीन-जायदाद के बँटवारे में
वही राह दिखाने वाली है।
अलग-अलग क़ानून से देखो
न्याय पालिका पर है बोझ पड़ता,
इस नये क़ानून से हरेक का
वो बोझ उतारने वाली है।
राष्ट्रीय एकता-अखंडता, भाईचारा
को मिलेगी मजबूती,
समूचे देशवासियों को एक
धारा में लेकर चलने वाली है।
सूडान, अमेरिका, पाकिस्तान,
मलेशिया, इंडोनेशिया, इजिप्ट, तुर्की,
ऐसे पंथ निरपेक्ष देशों की हवा
अपने देश को लगने वाली है।
सबसे ज्यादा फायदा होगा
यहाँ की हर वर्ग की महिलाओं का,
उन्हें बहुलवादी संस्कृति में
और आजादी मिलने वाली है।
वोट बैंक की राजनीति भी
हो जाएगी बीते जमाने की बात।
लगता है सरकार अभी इसपे
रायसुमारी कराने वाली है।
आजादी के पहले और बाद में
भी नहीं बन पाई ये बात,
क्या आपको लगता है कि
सरकार नया गुल खिलाने वाली है?
रामकेश एम. यादव
(कवि, साहित्यकार), मुम्बई
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