अण्डरग्राउण्ड केबिल घोटाला
राज्यमंत्री महेश चंद गुप्ता बोले- भूमिगत केबिल गड़बड़
तेजस टूडे ब्यूरो
अंकित सक्सेना
बदायूं। शासन स्तर से कराई गई विजिलेंस जांच में सितंबर 2020 में साफ हो गया था कि शहर में अंडरग्राउंड बिजली केबल में बड़ा घोटाला हुआ है। मगर पावर कॉरपोरेशन के अफसर इस घोटाले को दफन करने में जुटे रहे। पर्दे के पीछे चोरी-छिपे अंडरग्राउंड बिजली केबल को सुपुर्द करने की तैयारी हो गई थी, लेकिन कार्यदायी संस्था राज कॉरपोरेशन लिमिटेड और पावर कॉरपोरेशन के अफसरों का खेल बिगड़ गया है। कॉरपोरेशन के एमडी एम देवराज से लखनऊ में मुलाकात के बाद राज्यमंत्री महेश गुप्ता ने बुधवार को अफसरों को तलब कर दो टूक कह दिया कि वह गड़बड़ लाइन हैंडओवर नहीं होने देंगे।
नगर विकास राज्यमंत्री महेश गुप्ता ने बदायूं के अंडरग्राउंड केबल घोटाले की शिकायत पावर कॉरपोरेशन के एमडी एम देवराज से दो दिन पहले लखनऊ में की थी। ईमानदार छवि के अफसर एम देवराज पहले बदायूं के डीएम रह चुके हैं। राज्यमंत्री ने बुधवार को चीफ इंजीनियर संजय जैन को बदायूं तलब कर लिया। बरेली से आने के बाद चीफ इंजीनियर संजय जैन, अधीक्षक अभियंता दीपक कुमार, एक्सईएन विद्युत वितरण खंड प्रथम प्रवेश कुमार और एसडीओ नीरज गोवाड़ी के साथ बुधवार दोपहर नगर विकाय राज्यमंत्री के आवास पहुंचे। उनको केबल के मामले में पूरी स्थिति के बारे में बताया। इसके बाद शहर में कई स्थानों पर भ्रमण कर अंडरग्राउंड केबल की स्थिति को जाना। चीफ इंजीनियर अपनी रिपोर्ट एमडी को देंगे।
ये है अंडरग्राउंड बिजली लाइन प्रकरण : अंडरग्राउंड बिजली केबल का काम शहर व सहसवान में 2016 में शुरू हुआ था। 2018 के अंत तक काम पूरा कर लिया गया। कुछ इलाकों में सप्लाई चालू की गई तो हादसे होने लगे। उसी समय शिकायत शासन स्तर तक की गई थी। मामले में शासन ने विजिलेंस जांच कराई। तत्कालीन सीओ विजिलेंस जेएस पाटनी ने स्थलीय और भौतिक सत्यापन करने के साथ सभी पक्षों से बयान लिए और 200 पन्नों की रिपोर्ट शासन के साथ पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों को भी सौंप दी। इसमें सैकड़ों खामियां बताई गई थीं, लेकिन सपा सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले में भाजपा सरकार में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी रिपोर्ट पर कुंडली मारकर बैठे रहे।
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कार्रवाई के डर से कार्यदायी संस्था कमियां दूर करने में जुटी : शासन स्तर से अब अंडरग्राउंड केबल मामले में कार्रवाई तय मानी जा रही है। एमडी एम देवराज ने राज्यमंत्री को मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि कार्यदायी संस्था राज कॉरपोरेशन लमिटेड ने 2018 में काम पूरा करने का दावा किया था। किसी तरह संस्था इसे पावर कॉरपोरेशन के हैंडओवर करना चाहती थी, लेकिन अब शासन स्तर से सख्ती होने के साथ कार्रवाई के डर से संस्था ने कमियां दूर करना शुरू कर दी हैं। हाल ही में संस्था ने करीब ढाई करोड़ का नया सामान भी मंगाया है। खराब पड़े केबल बॉक्स पैनल को ठीक करने के साथ जिन स्थानों पर केबल सड़क के ऊपर है वहां उसे दबाया जा रहा है। हालांकि बिना पूरी लाइन उखड़े हुए समस्या को जड़ से खत्म करना मुश्किल है।
अंडरग्राउंड केबल प्रोजेक्ट की लागत को लेकर अब तक पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों में भ्रम की स्थिति है। बुधवार को राज्यमंत्री महेश गुप्ता के आवास पर चीफ इंजीनियर संजय जैन और अधीक्षक अभियंता दीपक कुमार से जब प्रोजक्ट की कुल लागत के बारे में पूछा गया तो वह नहीं बता सके। बाद में फाइल के कई पेज पलटने के बाद उन्होंने बताया कि यह 116 करोड़ का प्रोजेक्ट है, लेकिन खुद कार्यदायी संस्था राज कॉरपोरेशन लिमिटेड के सीनियर मैनेजर देवेंद्र सिंह का कहना है कि यह 119 करोड़ का प्रोजेक्ट है।
अंडरग्राउंड केबल लाइन अभी हैंडओवर नहीं हुई है। जहां पर कमियां हैं वहां कार्यदायी संस्था इसे दूर करा रही है। अगर कहीं पर मानकों और नियमों का उल्लंघन किया गया है तो कार्रवाई की जाएगी। शासन स्तर से मामले पर नजर रखी जा रही है। बुधवार को मैनें खुद शहर में कुछ इलाकों में निरीक्षण कर जायजा लिया है। कई स्थानों पर खामियां हैं। एमडी को रिपोर्ट भेजी जाएगी। जिस तरह के दिशा निर्देश मिलेंगे कार्रवाई की जाएगी।- संजय जैन, चीफ इंजीनियर पावर कॉरपोरेशन
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