यह भगवान बुद्ध, सम्राट अशोक, डा. अम्बेदकर एवं मोदी का भारत है: अरूण बौद्ध
शुभम जायसवाल
लखनऊ। प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत निरंतर भारत की अध्यात्मिक शक्ति की न केवल राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केंद्रीयता पर जोर दिया है, वरन् वैश्विक समस्याओं के समाधान में भी इस सकती की महत्ता को निरंतर रेखांकित किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा ऐसी अध्यात्मिक एवं दैविक विभूतियों के प्रशंसक रहे है जिन्होंने अध्यात्म को कर्मकाण्डों से मुक्त करके देश सेवा और जन कल्याण का एक सशक्त जरिया बनाया।स्वाभाविक है कि प्रधानमंत्री मोदी भगवान बुद्ध के गहरे प्रशंसक एवं अनुयायी रहे। आजादी के 70 वर्षों बाद पहले नरेंद्र मोदी पहले प्रधामंत्री है जिन्होंने बुद्ध जयंती को विश्व स्तर पर मनाया। सभी बौद्ध धम्म मानने वालों के लिए बौद्ध आयोग का गठन किया। प्रधानमंत्री मोदी इकलौते ऐसे प्रधामंत्री हैं जिन्होंने भगवान बुद्ध को मानने वाले देशों का निरंतर दौरा किया रहा, उनसे संवाद कायम किया।
उक्त बातें धर्म संस्कृति संगम के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सिंह बौद्ध ने बौद्ध विहार शांति उपवन नहरिया बंगला बाजार में आयोजित संगोष्ठी “बुद्ध का भारत” विषय पर बौद्ध भिक्षुओं को संबोधित करते हुए कही। साथ ही आगे कहा कि जो महापुरुष हमारे बारे में सोचता है, बुद्ध के माध्यम से भारत को विश्व गुरु बना चाहता है, उसे हमें पूरे तन—मन—धन से स्वीकार करना चाहिए, कोई तो है जो हमें समझता है और बता है कि यह बुद्ध का भारत है। भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया यानी अहिंसा दया करुणा मैत्री।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा भारत की अध्यात्मिक शक्ति को देश का भाग्य विधाता और गुलामी के वर्षों में आशा की संजीवनी के रूप में देखा है। वह हमेशा बहुत स्पष्ट रूप से कहते हैं। भारत की गौरव पूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन की पीठिका भारत की अध्यात्मिक शक्ति पर आधारित है। प्रधानमंत्री का बहुजन हिताय की सक्रिय पुनः सर्जनकारी और पाठ प्रदर्शक धारणा में दृढ़ विश्वास है। ये ऐसे गुण हैं जो भगवान बुद्ध के संदेश में स्वाभाविक रूप से प्रतिध्वनित है जिसमें हमें सर्वाधिक सहज और शांत तरीके से स्विम एवं मानवता की जिम्मेदारी लेने के लिए कहते हैं। प्रधानमंत्री अक्सर “भगवान बुद्ध के सूक्त वाक्य “अप्प दीपो भवः” अपना पथ स्वयम प्रदर्शित करो। वैसे तो हर अध्यात्मिक व्यक्ति इस अवधारणा से खुद को जोड़ेगा परंतु प्रधानमंत्री जैसे वैश्विक व्यक्ति के लिए ये सूत्र बहुत व्यापक रूप ले लेते है। एक दीप के तौर पर व्यक्ति महज स्वयं को ही नहीं, वरन समस्त सृष्टि को प्रकाशमय बनाता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अवध प्रांत के सामाजिक सद्भाव प्रमुख आरएसएस प्रचारक राजेंद्र जी ने कहा कि हमें भगवान बुद्ध की करुणा मैत्री का पालन करना चाहिए। इसी से विश्व का कल्याण होगा। उन्होंने आगे अष्टम मार्ग एवं समय ज्ञान की बात बताई। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के सदस्य भिक्षु देवेंद्र ने समय ज्ञापन विस्तार में बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भिक्षु शील रतन ने बुद्ध वंदना की। धर्म संस्कृति संगम के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अरुण सिंह बौद्ध ने यह कहते हुए कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की कि इस संगठन के संरक्षक आदरणीय इंद्रेश जी अपनी व्यस्तता के कारण नहीं आ सके। 27 मई को वाराणसी में आयोजित संगोष्ठी में उनका मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
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