बेत के कारोबारियों की मुसीबत बढ़ी, टैक्स बढ़ने से व्यापार में आई कमी
बेत के कारोबारियों की मुसीबत बढ़ी, टैक्स बढ़ने से व्यापार में आई कमी
आर के शर्मा
बरेली। बरेली में बेत का काम करने वालों को करना पड़ रहा है मुसीबतों का सामनाद्य बरेली के कारोबारियों की मुख्य पहचान थीद्य यहां बांस का काम सबसे ज्यादा होता था। लेकिन यह पहचान धीरे-धीरे अपने आप में सिमट रही है। जिसका कारण बढ़ता हुआ टैक्स बताया जाता हैद्य वही पहले के मुकाबले कीमतों का बढ़ना भी इसकी एक मुख्य वजह है द्यअब से लगभग 15 साल पहले कुमार टाकीज, सिक्लापुर, शाहदाना इन जगहों पर बांस और बेंत का काम बहुतायत में होता था।
उस समय इस में काम आने वाले सामानों पर टैक्स नहीं लगता था, लेकिन जैसे-जैसे टैक्स लगना शुरू हो गया, बचत कम होने से लोगों ने और काम करना शुरू कर दियाद्य कुमार टॉकीज पर लगभग 14 दुकानों में से बांस और बेंत की दुकानों में केवल तीन दुकान ही रह गई हैद्य बांस का सामान बनाने वाले राजू ने बताया कि पहले के मुकाबले कच्चे दामों में कई गुना ज्यादा फर्क आ गया है द्यजिससे सामान मंगाने में परेशानी हो रही है द्यज्यादातर सामान आसाम से आता है ,उनके पास सोफा सेट 9000 से शुरू होकर लगभग 30,000 तक की कीमत का है द्य 4 कुर्सियों की सेट की कीमत 7000 से लेकर 10000 तक हैद्य वही झूले हैं।
गिंग सेट फ्लावर पॉट आदि का सामान भी बनता हैद्य वही केन फर्नीचर के नाम से सामान बेचने वाले राजू ने बताया उनके पिता हाजी साबिर अली सामान बेचते थे। पहले टोकरी आदि बनाकर, इस समय सोफे कुर्सी, झूले आदि बेच रहे हैंद्य जब से टैक्स लगा है, व्यापारियों की हालत खराब हो गई है। 12 फ़ीसदी टैक्स देने के बाद मजदूरी और किराया देने के बाद काम से गुजारा नहीं हो पा रहा है द्ययहां से सामान दिल्ली लखनऊ से लेकर पंजाब तक जाता हैद्य बताते हैं शहर से माल पंजाब, दिल्ली लखनऊ जाता है। लेकिन भाड़ा ज्यादा होने से खरीदार को माल ले जाने में दिक्कत आती है।