इस विद्यालय की पढ़ाई चिताजनक, बस एक ही कमरे का है स्कूल
एलपी उपाध्याय
हाथरस। बेसिक शिक्षा विभाग के नगर क्षेत्र के विद्यालयों की पढ़ाई व्यवस्था चिताजनक है। प्राथमिक विद्यालय रमनपुर (बालक) इसका उदाहरण है। आज भी विद्यालय किराए की बिल्डिग में एक ही कमरे में संचालित है। एक ही कमरे में पांचों कक्षाओं के बच्चों को बैठाकर पढ़ाई होती है। हैरत की बात यह है कि जिस बेसिक शिक्षा विभाग पर स्कूल के कायाकल्प की जिम्मेदारी है, उसका कार्यालय भी स्कूल से चंद कदम की दूरी पर है, फिर भी स्कूल के दिन नहीं फिरे।
महज एक शिक्षामित्र पर सभी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर ज्ञान देने के लिए लगातार सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। चाहे शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाना हो या योजनाओं का क्रियान्वयन कराना। कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों की दशा सुधारने का प्रयास भी किया जा रहा है लेकिन नगर क्षेत्र के विद्यालयों के हालत में सुधार नहीं हो रहा है।
चार साल से एक कमरे में स्कूल
बीएसए कार्यालय के पास ही प्राथमिक विद्यालय रमनपुर बालक संचालित है। करीब 60 साल से यह विद्यालय दो कमरों में किराए की बिल्डिग में चल रहा था। करीब चार साल पहले एक कमरा जर्जर होने के कारण उसे बंद कर दिया गया। अब एक ही कमरे में विद्यालय संचालित है। विद्यालय में कक्षा एक में 14, दो में 9, तीन में 18, चार में 27 और 5 में 15 विद्यार्थियों के नामांकन हैं। विद्यालय में शिक्षामित्र रेखा पचौरी पर सभी को पढ़ाने की जिम्मेदारी है।
खेलने के लिये नहीं है जगह
संसाधन न होने के कारण विद्यालय में विद्यार्थियों का नामांकन नहीं बढ़ पा रहा। खेल का मैदान नहीं होने पर बच्चे खेल नहीं पाते। बच्चों को एमडीएम एनजीओ द्वारा सप्लाई किया जाता है जिसे कमरे में बैठकर ही बच्चे खाते हैं।
अधिकारी नहीं करा पाते कार्य
कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों को बेहतर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए बजट का प्रावधान भी है लेकिन किराए के भवनों में चल रहे विद्यालयों में योजनाओं का लाभ अफसर नहीं दिला पाते। भवन स्वामियों को लगता है कि कहीं विद्यालय की जगह पर विभाग का पूरी तरह कब्जा न हो जाए, इसलिए विद्यार्थियों को शासन से मिलने वाली योजना का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है।
इनकी सुनो
किराये के भवन में संचालित विद्यालयों को निकट के सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करने का निर्णय उच्च अधिकारियों को लेना है। किराए के भवन वाले विद्यालयों में कायाकल्प योजना भी संचालित नहीं करा पा रहे हैं।
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