सौ से अधिक महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई में प्रशिक्षित कर रहीं सबीना
राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। मन के अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। मवई ब्लाक के संडवा गांव की रहने वाली सबीना खातून इसे अपने जज्बे से चरित्रार्थ भी कर रहीं हैं। बचपन में पिता की मृत्यु के बाद खुद बेसहारा हुई सबीना ने जिंदगी से हार नहीं मानी। मां ने हौसला बढ़ाया तो उसके पंख ने भी ऊंची उड़ान भरी। सिलाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण लेकर परिवार का जीविकोपार्जन शुरू किया तो अब वह दूसरी महिलाओं को इसका प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रहीं हैं।
सबीना बिना शादी किए सामाजिक कार्य का संकल्प ले चुकी है। सबीना खातून बताती है कि पिता की मृत्यु के समय वह महज 12 वर्ष की थी। पिता की मौत के बाद वह और उनकी माता कई वर्षों तक परेशान रहीं। इसके बाद आत्मनिर्भर बनने की ठानी। महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल शुरू किया। पहले खुद सिलाई, कढ़ाई सीखा और बाद में 100 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया। सबीना आजीविका मिशन योजना से स्वयं सहायता समूह बनाकर अचार, मुरब्बा बनाने के साथ साथ गन्ने की नर्सरी कर महिलाओं की आय बढ़ा रही है।
सबीना खातून ने मास्टर डिग्री हासिल किया। पिता की मौत के बाद सबीना की पढ़ाई का जिम्मा उनकी माता ने उठाया। सबीना खातून बताती है कि वह गांव की अशिक्षित महिलाओं को अपनी संस्था नई उड़ान के साथ शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ रही हैं। अब तक कई निरक्षर महिलाओं को पढ़ना-लिखना सिखाकर राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया है। कोरोना काल में मास्क की सिलाई कर चर्चा में आई सबीना अब परिषदीय स्कूल के छात्रों की यूनिफार्म सिलाई रही है।
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