निर्णय आपका…
सूचना….अबिलम्ब प्रेषित करें…
इसके बाद… अगला दौर…
सूचना के साथ..जरूरी कागज़ात की
कार्बन कॉपी संलग्न करें…
फिर सूचना… लौटती डाक से…
भेजने का कल्चर… आगे…
सूचना के साथ प्रपत्रों की,
छायाप्रति भी संलग्न करें…
इस दौर से गुज़रते हुए…!
सूचना… जरिए विशेष वाहक…
भेजने का सिलसिला शुरू हुआ…
और जल्दी के लिए…
सूचना… जरिए फैक्स की नोटिंग…
अब तो सोशल मीडिया पर
फटाफट…. जरिए पी डी यफ…
सूचना प्रेषित की जा रही हैं
ई-ऑफिस का भी…!
तेजी से बढ़ रहा चलन है…
इस “ई” वाली के चलन से,
सूचना की सभी को जल्दी है
किसी को नहीं कोई सब्र है
इसी के चक्कर में…!
“ऊ” पुरानी वाली प्रणाली के,
पाँव दिखाई देते कब्र में है…
विकास के इस दौर में,
क़ाबिल-ए-ग़ौर यह है मित्रों…!
कि जल्दबाजी दोनों तरफ से है…
सूचना प्राप्त करने वाले में भी… और…
सूचना भेजने वाले में भी…
सच कहूँ तो… दोनों को…!
अपने-अपने सर की बला,
टालने की जल्दी है…
अब… ग़ौर फरमाइए मित्रों…
हमारे बुजुर्गों ने कहा है…!
जल्दी का काम शैतान का…
फिर… सूचनाओं के संदर्भ में…
हम काम… मनुष्यों का…
कर रहे हैं या शैतान का…!
पाठकों यह निर्णय…
मैं आप पर छोड़ता हूँ…
क्योंकि… मैं भी यह कविता…
लिखने की जल्दी में हूँ… बाकी…
मेरे प्रति भी निर्णय आपका…!
मेरे प्रति भी निर्णय आपका…!
रचनाकार——जितेन्द्र दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ
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