ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही जिले में आयी खाद की रैक
समितियों पर किसानों की लगी लाइनें, खाद के लिए मचा हाहाकार
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। सत्ताधारी नेता भले ही चुनाव के समय किसानों को बड़े—बड़े सपने दिखा वोंट लेकर चले जाते हों किन्तु समस्याओं से घिरे किसानों की पीड़ा जिले में सुनने वाले हाकिम चुप्पी साध कर बैठे हैं। गेहूं व आलू के फसल की लगभग बीतते बुवाई के समय के बाद तसल्ली देने को जिले में आई खाद की रैक जिले के किसानों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है।
किसान दिन भर खाद के लिए लाइन लगाकर समय जरुर नष्ट करते हैं किंतु किसानों को खाद के बजाय कोरा आश्वासन मिलता है। लाचार किसान अपनी व्यथा आखिर किसको सुनाएं उनके लिए एक यह अबूझ पहेली बनी हुई है, क्योंकि जिले के जिम्मेदार शासन से रैक न आने की दुहाई देकर किसानों के अरमानों पर पानी फेरते नजर आते हैं। इतना ही नहीं, जिले के ऐसे कई साघन सहकारी समितियां हैं जहां अभी भी खाद की रैक नहीं पहुंच पाई है।
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