विकास प्राधिकरण की खाऊ कमाऊ नीति से शहर में फैल रहा अवैध इमारतों का मकड़जाल
विकास प्राधिकरण की खाऊ कमाऊ नीति से शहर में फैल रहा अवैध इमारतों का मकड़जाल
अवैध निर्माण की शिकायत होते ही नियम ताक पर रख वसूलते हैं मोटी रकम
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। अवैध इमारतों के निर्माण को लेकर योगी सरकार तरह-तरह की निर्देश देती रहती है लेकिन रायबरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों पर इसका कोई असर होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। दबी जुबान आमोखास में चर्चा है कि रिश्वत की गठरी के नीचे दबे आरडीए के जिम्मेदारों के द्वारा बड़े-बड़े खेल किये जा रहे हैं। बताते चलें कि विकास प्राधिकरण के जेईयों के संरक्षण में अवैध ईमारतों का निर्माण कार्य धड़ल्ले से कराया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जब कभी इन अवैध निर्माण कार्यों की शिकायत की जाती है तो मोटी रकम वसूल करके मामले को जांच के ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यही कारण है कि शहर में अवैध इमारतों का मकड़जाल फैल चुका है। जब किसी इमारत में आगजनी जैसी विध्वंसक घटना घटित होती है तो जिम्मेदार कार्यालय से बाहर निकलते हैं और कागजी कोरम पूरा कर फिर वापस लौट जाते हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब विकास प्राधिकरण से बिना नक्शा पास कराये कोई भी निर्माण कार्य नही किया जा सकता है तो फिर बिना कम्पाउडिंग के जिले में दर्जनों इमारतें कैसे खड़ी हो गई। देखना है कि उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर ऊंची ऊंची अवैध इमारतों के निर्माण में शामिल विभागीय कर्मचारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जाती है।
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