….तो क्या बिना शासनादेश के ही डीएसओ ने जारी किया था राशन कार्ड सरेण्डर का आदेश
….तो क्या बिना शासनादेश के ही डीएसओ ने जारी किया था राशन कार्ड सरेण्डर का आदेश
जारी आदेश का शासनादेश के खण्डन करने से उठ रहे सवाल
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। बीती 10 मई को जिलापूर्ति अधिकारी कार्यालय से पत्र जारी होता हैं जिसमें अपात्र राशन कार्ड धारकों में हड़कंप मच जाता हैं और जनपद के खाद्य निरीक्षक कार्यालयों व सार्वजनिक स्थानों पर उसी आदेश का हवाला दे अपात्र राशन कार्ड धारकों को अपने राशन कार्ड यथाशीघ्र सरेंडर करने की अपील की जाती हैं किंतु हाल ही में एक शासनादेश आया जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि शासन स्तर से कार्ड सरेंडर करने व कार्ड संबंधी किसी भी प्रकार का कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया हैं।
पात्र गृहस्थी राशन कार्डों की पात्रता व पात्रता के संबंध में बीते वर्ष 7 अक्टूबर 2014 के शासनादेश के मानक निर्धारित किए गए थे जिसके बाद से कोई नया शासनादेश अब तक में जारी नहीं किया गया किंतु सवाल अब यहां उठता है कि क्या जिलापूर्ति अधिकारी कार्यालय से बिना किसी शासनादेश के अपने मनमर्जी से ही एक आदेश जारी कर जिले के लगभग हजारों कार्डधारकों को डराकर कार्ड सरेंडर करवा दिया। अब यहां एक सवाल यह भी उठता है कि हाल ही में आये एक शासनादेश ने जिलापूर्ति अधिकारी के निर्देश का खंडन तो कर दिया पर जो जिले में हजारों कार्ड निर्देश जारी कर जिलापूर्ति अधिकारी ने हजारों कार्डधारकों का कार्ड सरेंडर करवा दिया क्या अब उन अपात्र कार्डधारकों को राशनकार्ड धारकों को कार्ड वापस किया जायेगा? या फिर शासनादेश के विपरीत मनमानी तरीके से पत्र जारी कर आये दिन शासनादेश का हवाला दे कार्डधारकों को डराते ही रहेंगे।
अपात्रों से कार्ड सरेण्डर की किये थे अपील, रिकवरी जैसी खबरें थीं भ्रामकः डीएसओ
वहीं इस बाबत तेज-तर्रार जिलापूर्ति अधिकारी विमल शुक्ला ने बताया कि जो लोग जनपद में राशन के लिए पात्र हैं, उनसे राशन कार्ड सरेंडर करने की अपील भले ही की गई थी किंतु जो जिले में बाजार दर से राशन रिकवरी सहित तरह तरह की भ्रामक खबरें चल रही हैं, वह सरासर गलत थी। अब तक में लगभग एक हजार से ऊपर बुद्धिजीवियों ने जनपद में अपना कार्ड सरेंडर कर मानवता का परिचय दिया है।
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