सरकारी दफ्तर, स्कूल, कॉलेजों के सामने खुलीं धूम्रपान की दुकानें
अधिकारी नहीं दे रहे इस ओर ध्यान
एके गंगवार
पीलीभीत। तंबाकू और धूम्रपान के सेवन पर सरकारी दफ्तर और स्कूल-काॅलेजों में पूरी तरह से जिला प्रशासन के द्वारा रोक लगाई गई थी। इतना ही नहीं, अब तो दिखावे के लिए अधिकारी शायद टेबिल पर जुर्माना रसीद की बंदी भी रखने लगे होंगे लेकिन धूम्रपान के उस नियम की ओर जरा भी नहीं देखा कि स्कूल और कॉलेज के 100 गज की दूरी में कोई भी धूम्रपान या तंबाकू का विक्रय न हो। इस ओर किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं है।
स्कूलों और कॉलेजों के सामने पान-तंबाकू की दुकानें खुली हुई है, इन्हें हटवाने के लिए प्राचार्य सहित जिला प्रशासन कोई एक्शन नहीं ले रहा है। वहीं कई विभाग में तंबाकू सेवन और उसके आसपास सिगरेट, गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है लेकिन जिले में इस आदेश का अनुपालन दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहा है। स्कूलों के गेटों पर धड़ल्ले से पान-मसाले, गुटखे और सिगरेट आदि की बिक्री हो रही है। लगता है कि शायद काॅपी-किताब दुकानों के साथ ही पड़ोस की दुकानों पर नशे की यह सामग्रियां भी आराम से मिल जाती होंगी।
स्कूलों के गेट पर हैं पान-गुटखा की दुकानें
शहर के किसी भी स्कूल में जाए आप पहले गेट के पास या गेट से 100 गज की दूरी पर आपको पान और गुटखे की दुकानें मिलेगी। शहर के अधिकांश स्कूल ऐसे ही मिल जाएंगे जहां पर स्कूलों के गेट के सामने या 100 गज की दूरी के अंदर में पान की दुकानें खुली हुई है जिसका जीता जागता उदाहरण आपको केंद्रीय विद्यालय, ड्रमंड राजकीय इंटर कॉलेज, रामा इंटर कालेज और उपाधि महाविद्यालय पर मिल जाएगा। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन और शिक्षा विभाग धूम्रपान निषेध के लिए कितना संजीदा है। इतना ही नहीं, यहां से रोजाना अधिकारी भी निकलते होंगे लेकिन शायद इन्हें भी यह पान-गुटखा की दुकानें नजर नहीं आती होंगी और न ही इन्हें हटवा पा रहे है।
सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम किया जा रहा धूम्रपान
नियमानुसार सार्वजनिक स्थान और सरकारी दफ्तरों में धूम्रपान निषेध है लेकिन शहर सहित ग्रामीण अंचलों में बने बस स्टॉप, स्कूलों के आसपास, सिनेमा घरों, शासकीय दफ्तर, मंदिरों और अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम धूम्रपान किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इतना ही नहीं, धूम्रपान निषेध का पाठ बैठकें आयोजित कर जिला प्रशासन अधिकारियों और कर्मचारियों को पढ़ा रहा है।
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