साहब! यहां मिड-डे मील का भोजन स्कूल नहीं, सड़कों पर घूमकर खाते हैं बच्चे
लापरवाह शिक्षकों का स्कूल में गपशप से अंधकार में पड़ा बच्चों का भविष्य
अनुभव शुक्ला
सलोन, रायबरेली। अखबार में प्रकाशित तस्वीर को गौर से देखिए! मिड-डे मील का भोजन स्कूल में बैठकर खाने के बाद बच्चे शिक्षकों के बकैती करने का फायदा उठाकर सड़कों पर घूम घूमकर भोजन कर रहे हैं।
सरकार द्वारा लगभग लाखों रुपए पाने वाले शिक्षक आज जनपद के भविष्य बनने वाले बच्चों को क्या और कैसे शिक्षा दे रहे हैं। ये जानने और समझने के लिए जिले के सलोन तहसील क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय उसरी जो न्याय पंचायत बरवलिया चले आइये। यहां प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की निरंकुशता की बात ही कुछ और है मध्यान्ह भोजन (मिड्डेमिल) कराने में बच्चों को जैसे तैसे थाली में भोजन तो परोस दिया जाता है किन्तु उन्हें अच्छे से निगरानी में भोजन नहीं कराया जाता बच्चों को थाली में खिचड़ी/तहरी देकर विद्यालय परिसर से जानवरों की तरह बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
उसरी गांव में नहर किनारे बना यह प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों की निरंकुशता को साफ साफ दर्शाता दिख रहा है। थाली में भोजन दे कर बच्चों को नहर में पानी पीने के लिए भेज दिया जाता है जिनके बच्चे इन सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। सब कुछ नि:शुल्क होने के बावजूद माता पिता और आसपास उपस्थित लोग अनजान बने रहते हैं। कोई भी यह नहीं पूछता कि मास्टर साहब ये कैसी शिक्षा दे रहे हैं। बच्चों को इंसान की जगह जानवर क्यों बना रहे हो।
आजकल स्वार्थ इस दौर में सभी अंधे हो चुके हैं। अगर किसी ने गलत के खिलाफ आवाज उठाई तो वह सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाने लगता है। यही नहीं, प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक जब मन कहता है तब समय बेसमय आते और चले जाते हैं। अगर किसी ने हिम्मत जुटाकर इन कृत्यों की शिकायत भी कर दी तो ऊपर चोर चोर मौसेरे भाई साहब ही तो बैठे हैं। फिर क्या होता है, आगे आप सभी समझदार हैं…।
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