पूर्वांचल की 27 सीटों के लिये संघ ने भी संभाला मोर्चा

पूर्वांचल की 27 सीटों के लिये संघ ने भी संभाला मोर्चा

अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में आखिरी दो चरणों का मतदान बाकी है। पूर्वांचल की 27 सीटें इसमें शामिल हैं। यहां लड़ाई कांटे की नजर आ रही है तो बीजेपी की मदद करने के लिये संघ भी मोर्चे पर डट गया है। वैसे भी देश में जब भी विधानसभा या लोकसभा के चुनाव आते हैं तो मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों का एक बड़ा वर्ग आरएसएस को ‘एक्स’ फैक्टर के तौर पर पेश करता है। आम तौर पर यह माना जाता है कि आरएसएस भाजपा के लिए काम करने और उसे चुनाव जिताने के लिए हरसंभव कोशिश करता है। जब चुनाव प्रचार की बात आती है तो आरएसएस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी ही सबसे आगे रहते हैं।


आरएसएस को राजनीति से कैसे निपटना चाहिए, इस पर पहली बड़ी बहस जुलाई 1949 में बिना शर्त संगठन पर लगे प्रतिबंध को हटाने के बाद शुरू हुई। यह प्रतिबंध फरवरी 1948 में जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा गलत और शरारती तरीके से लगाया गया था। महात्मा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस जो विभाजन के दौरान हिंदुओं और सिखों को बचाने में आरएसएस की शानदार भूमिका के कारण उसके बढ़ते प्रभाव से चिंतित हो रही थी, ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस को दोषी ठहराकर और इस तरह उस पर प्रतिबंध लगाकर संगठन को कुचलने का अवसर पाया लेकिन आरएसएस के खिलाफ एक भी सबूत नहीं मिला और नेहरू सरकार को प्रतिबंध हटाना पड़ा।
अब एक बार फिर संघ चर्चा में आ गया है। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों में विपक्ष के संविधान बदलने और पिछड़ों व दलितों का आरक्षण खत्म करने से संबंधित सियासी वार को कुंद करने के लिए अब भाजपा के साथ संघ परिवार भी मोर्चा संभालेगा। इस संबध में गत दिवस 23 मई को देर रात को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के महामंत्री संगठन बीएल संतोष की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें प्रदेश के मौजूदा सियासी माहौल में मतदान बढ़ाने के साथ ही विपक्ष द्वारा आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को समाप्त करने की रणनीति पर चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री आवास पर हुई संघ और भाजपा की बैठक में अंतिम दो चरणों के चुनाव में दलितों और पिछड़ों के बीच जाकर इन मुद्दों को लेकर स्थिति साफ करने पर भी सहमति बनी है। सूत्रों का कहना है कि इस काम में भाजपा के साथ ही संघ परिवार के कार्यकर्ता भी जुटेंगे। यह भी तय हुआ है की संघ और भाजपा मिलकर इन परिस्थितियों से निपटेंगे। सूत्रों के मुताबिक इसके पहले बीएल संतोष और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल ने काफी देर तक प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मंत्रणा की। इसके बाद दोनों नेता मुख्यमंत्री के घर पर पहुंचे। इसके बाद वहां बैठक शुरू हुई जो एक घंटे से अधिक देर तक चली। सूत्रों का कहना है कि बैठक में अंतिम दो चरणों से जुड़ी 27 सीटों पर भाजपा की बढ़त बनाने और चुनाव को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई। खास तौर से विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे जातीय मुद्दों की वजह से सियासी समीकरण के प्रभावित होने के खतरे से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा हुई। यह भी तय किया गया है कि संघ और भाजपा मिलकर चुनाव अभियान को अब और गति देंगे। खास तौर से दलित मतदाताओं पर फोकस करने की भी बात हुई है। बैठक के बाद बीएल संतोष ने अलग से मुख्यमंत्री के साथ भी विभिन्न विषयों को लेकर चर्चा की। बैठक में आरएसएस के पूर्वी क्षेत्र के प्रचारक अनिल कुमार, पश्चिम के क्षेत्र प्रचारक महेंद्र कुमार के अलावा अवध सहित कई प्रांतों के प्रांत प्रचारक भी मौजूद रहे।

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