साल्वर गैंग देता था बायोमेट्रिक को चकमा
साल्वर गैंग देता था बायोमेट्रिक को चकमा
पोटाश-ग्लू स्टिक व फेवीकोल से बनाया ‘अंगूठा’, 6 गिरफ्तार
मोहित शर्मा
आगरा। आगरा में गुरुवार की रात को सैंया पुलिस ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थी के स्थान पर साल्वर बैठाने वाले गिरोह के सरगना सहित छह को गिरफ्तार किया है। इन्होंने बायोमीट्रिक को चकमा देने का तरीका खोज निकाला था। अभ्यर्थी के अंगूठे की निशानी तैयार कर साल्वर के अंगूठे पर लगा देते थे, ताकि वह बायोमीट्रिक जांच में पकड़ में न आए। गिरोह के सरगना समेत सभी छह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
पुलिस उपायुक्त नगर जोन विकास कुमार ने बताया कि 11 जनवरी को एसएससी जीडी की परीक्षा हुई थी, जिसमें पुष्पेंद्र निवासी गांव भडीरा थान गौंडा (अलीगढ़) ने भी आवेदन किया था। परीक्षा में उसकी जगह साल्वर भगत सिंह निवासी इगलास (अलीगढ़) बैठा था। साल्वर ने पुष्पेंद्र से परीक्षा में पास कराने को एक लाख रुपये में सौदा किया था। वह 80 हजार रुपये पेशगी ले चुका था। बाकी 20 हजार रुपये परीक्षा में पास होने के बाद देने थे। पुष्पेंद्र का प्रवेश पत्र और प्रमाण पत्र गिरोह के पास जमा थे। सैंया पुलिस को गिरोह की जानकारी मिली।
पुलिस ने ग्वालियर हाईवे स्थित कुनाल पब्लिक स्कूल के पास से सरगना दीपू उर्फ द्रिवेंद्र के अलावा अभ्यर्थी पुष्पेंद्र, साल्वर भगत, कुलदीप, धर्मेंद्र, पवन को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों से एक लैपटाप, प्रवेश पत्र, अंकतालिका, दो फिंगरप्रिंट, एक कार और 21,750 रुपये बरामद किए हैं। बायोमैट्रिक को चकमा देने के लिए दीपू ने बताया कि वह ग्लू स्टिक से अंगूठे का फिंगर प्रिंट बनाता था। सरगना ने थाने में पुलिस के सामने फिंगर प्रिंट बनाने का डेमो दिया। उसने दस मिनट में फिंगर प्रिंट बना दिया।
उसने पुलिस से पोटाश, ग्लू स्टिक, फेवीकोल, ज्योमेट्री बाक्स आदि सामान मंगवाया। ग्लू स्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्हें ज्योमिट्री बाक्स में डाला। जिसके बाद उसे लाइटर से गरम किया। ग्लू पिघलने के बाद उसमें फेवीकोल और पोटाश को मिलाया। रंग डाला, जिससे कि फिंगर प्रिंट का रंग त्वचा की तरह होकर असली लगे। इसे बनाने के बाद इत्र मिलाया, जिससे कि फेवीकोल की गंध न आए। इस पिघले हुए मिश्रण में अभ्यर्थी के अंगूठे का निशान लिया। उसे कुछ मिनट सूखने दिया। सूखने के बाद अभ्यर्थी के अंगूठे से ब्लेड की मदद से निकाला। जिससे अंगूठे की परत तैयार हो गई।
इस फिंगर प्रिंट को साल्वर अपने अंगूठे पर चिपका लेता था। जिसके चलते वह बायोमैट्रिक में कभी पकड़ा नहीं जाता था। सरगना दीपू ने बताया कि वह नकली फिंगर प्रिंट तैयार करने के बाद प्रवेश पत्र पर लगी असली फोटो रगड़ देते थे। जिससे कि वह धुंधली हो जाती थी। बायोमैट्रिक में हाजिरी में साल्वर पकड़ में नहीं आता था। परीक्षा केंद्र पर तैनात कर्मचारी भी बायोमैट्रिक के चलते शक नहीं करते थे। पुलिस ने आरोपितों के मोबाइल भी अपने कब्जे में लिए हैं। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के नंबर हैं। अनुमान है कि गिरोह ने उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पूर्व आयोजित परीक्षाओं में भी साल्वर बैठाए हैं। पुलिस मोबाइल की वाट्सएप चैट समेत अन्य डाटा को रिकवर कर उसकी जांच करेगी। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि गिरोह का सरगना दीपू उर्फ द्रिवेंद्र निवासी गांव अरनिया थाना गौंडा, अलीगढ़ है। वह पूर्व में कोचिंग संचालक था।
दीपू ने बताया कि वह ऐसे अभ्यर्थियों को तलाशता था, जिन्हें सरकारी नौकरी चाहिए। उनसे परीक्षा में पास कराने का सौदा करता। उनके लिए कोचिंग केंद्रों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले मेधावी छात्रों को चुनता। उन्हें रुपये का लालच देकर साल्वर बनने के लिए तैयार कर लेता था। वर्तमान में उसके साथ भगत सिंह और कुलदीप निवासी गांव बलीपुर थाना खैर, अलीगढ़ साल्वर का काम कर रहे थे। दीपू ने बताया कि वह पवन कुमार निवासी नया नगला थाना हाथरस गेट और धर्मेंद्र उर्फ डीके निवासी गांव फतेहपुर थाना इगलास, अलीगढ़ की मदद से असली अभ्यर्थी के अंगूठे की निशानी तैयार कराता था।
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