साहेब की कार्यवाही बेअसर या भट्ठा संचालन में गांधी छाप का असर
साहेब की कार्यवाही बेअसर या भट्ठा संचालन में गांधी छाप का असर
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। खुले आम सब कुछ सामने है, उसके बावजूद भी प्रशासनिक पावर रखने वाले अधिकारी तहसील के बड़े साहेब की कार्यवाही बेअसर सोचने वाली बात है? आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रदेश का सख्त प्रशासन अवैध तरह से काम करने वालों के आगे पस्त दिखाई पड़ रहा है।
वहीं लहरपुर में चल रहे बिना एनओसी ईंट भट्ठे इसकी बानगी है कि लहरपुर प्रशासन के द्वारा की गयी कार्यवाही बेअसर, इस समय लहरपुर क्षेत्र की जनता इसी तरह की चर्चाओं कर रही है, साथ ही चर्चित यह भी हो रही हैं माफियाओं और अनैतिक कार्यों के खिलाफ लहरपुर तहसील प्रशासन द्वारा कोई सख्त कदम नही उठाये जा रहे है। जो बेहद चौकाने वाली बात है इस पर जिम्मेदारों को विचार करना चाहिए और अधिकारियों से पूछना चाहिए कि लहरपुर तहसील क्षेत्र में बिना एनओसी के ईट भठठो का संचालन किस आधार पर हो रहा है। जनहित में हो रही बातें की जनता ईंट उद्योग व हाजी नबाव अली ब्रिक फिल्ड व अन्य ईंट भट्ठा कार्यवाही के बाद भी संचालित हैं? तो सवाल उठना लाजमी है।
साहेब की कार्यवाही बेअसर रही या ईंट भट्ठा संचालकों के गांधी छाप का असर है की ईंट भट्ठे संचालित हैं। तो क्या भट्ठा संचालकों पर की गई अहम सवाल यह भी है कि कार्यवाही के बाद भी यह कैसे संचालित हैं? क्या साहब की ईमानदारी पर गांधी छाप का ग्रहण लग गया या भट्ठा मालिकान बेहद रसूखदार ऊपर तक पहुंच वाले साबित हो रहे है। हालांकि मामला जो भी हो यह बातें जनहित से बार-बार उठ रहे हैं कि आखिरकार तहसील प्रशासन का बुलडोजर क्यों फेल होता हुआ नजर आ रहा है। इस पर अगर देखा जाए तो यह छोटी सी बात नहीं है बल्कि बहुत बड़ी बात क्योंकि जिस तरीके से कार्रवाई होती है उस पर अगर इस तरीके से अमल हो रहा है कि एक तरफ कार्रवाई होती है और दूसरी तरफ उन जिन पर कार्रवाई हुई है वह एक भट्टे पुनः संचालित हो जाते हैं यह कैसे हो सकता है हालांकि यह बातें, बातें हैं या फिर इस सच्चाई और गहरा राज दफन है अगर शासन से कार्यवाही हुई तो इसे नकारा नहीं जा सकता की प्रदेश सरकार के फैसले बहुत कड़े होते जो स्थानीय तहसील प्रशासन व बड़े साहेब के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा। कुछ भी हो इस तरह से बिना एनओसी चल रहे ईट भठठो पर कार्यवाही होना जरूरी है क्योकि यह ईंट भट्ठे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं और इनकी चिमनिया जहरीला धुआं उगल रही है। ईट भट्ठों पर गाइडलाइन का पालन करवाना बहुत जरूरी है।
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