चर्चा: डाक्टर का दिमाग दिन भर पैथोलॉजी व दवा कम्पनी से मिलने वाले कमीशन पर रहता है
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। जब पूरे कुएं में भांग मिली हो तो शिकायत किससे करें, कुछ इसी तर्ज पर रायबरेली का प्रशासन और जिम्मेदार लोग जो समाज को सुधारने की बात करते हैं एक दो माह के बच्चे की मौत पर किसने अपनी जिम्मेदारी निभाई यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सभी जानते हैं। सत्यम हॉस्पिटल में कुछ दिन पहले गलत इलाज करने की वजह से एक दो महीने के बच्चे का हाथ सड़ गया था जिसे इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया, बीती रात उसकी मौत हो गई।
इस पूरे प्रकरण में एक गौर करने वाली बात यह रही कि एक गरीब के साथ खड़े होने वाले वह लोग थे जिनके हाथ में कोई ताकत नहीं थी और जिनके हाथ में संविधान ने जिम्मेदारी सौंपी थी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और आखरी दम तक अस्पताल को बचाने में लगे रहे। जांच के नाम पर तो कभी बच्चे के इलाज में मदद करने के नाम पर जब बच्चा खत्म हुआ तब आनन-फानन में प्रशासन ने मुकदमा सिर्फ इसलिए दर्ज कर ली कि कहीं यह मामला तूल न पकड़े और उनके गले की फांस न बन जाय। यह कोई एक सत्यम हॉस्पिटल नहीं जिले में दर्जनों ऐसे अस्पताल हैं जो स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में लोगों की जांच के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जहां पर अप्रशिक्षित स्टॉप काम कर रहा है।
डॉक्टर की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी कुछ दिन पहले ही जिला अस्पताल में एक मरीज का पैर का ऑपरेशन करने के स्थान पर पेट का ऑपरेशन कर दिया गया तो क्या प्राइवेट नर्सिंग होम और क्या जिला अस्पताल अगर यह कहा जाए कि तथाकथित डॉक्टर सिर्फ दिन भर पैथोलॉजी और मेडिकल कंपनियों से आने वाले कमीशन पर ध्यान देते हैं तो गलत नहीं होगा। फिलहाल मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना के पीछे वह सभी लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उस बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार हैं जो अपने निजी स्वार्थ के लिए ऐसे अस्पताल और डॉक्टर को संरक्षित करते हैं।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।