चित्रकूट को अखिल विश्व का आध्यात्मिक माडल बनाने का लिया संकल्प
चित्रकूट को अखिल विश्व का आध्यात्मिक माडल बनाने का लिया संकल्प
शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। चित्रकूट गौरव दिवस की पुर्व संध्या पर गायत्री परिवार तथा उपस्थित सैकड़ों लोगों ने गायत्री यज्ञ के साथ चित्रकूट को केंद्र शासित प्रदेश बना प्रभु श्रीराम के चरित्र के अनुकूल अखिल विश्व का आध्यात्मिक माडल बनाए जाने के जनजागरण का संकल्प लिया।
उप्र व मप्र में विभाजित चित्रकूट देश की स्वतंत्रता के बाद भी विकसित नहीं हो सका। त्रेतायुग में अयोध्या श्रीलंका की सीमा मे विभाजित रहा। रावण के भाई खर का सेनापति विराध यहां की व्यवस्था में था। अयोध्या नरेश अंबरीश की राजधानी रहा। दशरथ ने ध्यान नहीं दे सके, उस बचे कार्य को पूर्ण करने पुत्र भगवान राम को चित्रकूट की कमान संभालने आना पड़ा। इस संकल्प ने ही दशरथ नंदन राजा राम को ब्रह्मांड नायक भगवान राम बना दिया।
यहां अत्रि जैसे गुरुकुल, अगस्त्य ऋषि जैसे अनुसंधानकर्ताओं, सर भंग ऋषि जैसे तपस्वी से अनुप्राणित सृष्टि का सृजन भागवत महापुराण मे वर्णित हैं। प्राचेतस दक्ष की 64 कन्याओं से यहीं से शुरू हुआ। वेधक एक स्थान है जहां से सृष्टि का लय भगवान शिव तांडव कर करते है। ब्रह्मा ने सृष्टि बनाने का यज्ञ यहां किया। गायत्री शक्तिपीठ के संचालक डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने काल जयी चित्रकूट का महात्म्य एवं दर्शन में संपूर्ण जानकारी शास्त्र प्रमाण के आधार पर लिखी है।
जिससे चित्रकूट के गौरव का बोध होता है। चित्रकूट के विकास में चित्रकूट की नैसर्गिक स्वाभाविकता का ध्यान रखना आवश्यक है। भवनों का नहीं भावना का विकास हो। प्राकृतिक सौंदर्य को लेकर शिक्षण आध्यात्मिक व्यवाहारिक के साथ प्रेरक स्वरुप हो। भगवान राम के लिये अयोध्या से बढ़कर चित्रकूट है। बाल्मीकि रामायण में भगवान ने स्वयं कहा सीते चित्रकूट आकर अयोध्या के वियोग का दुख भूल गया। बाल्मीकि जी ने कहा कि चित्रकूट के समान कोई तीर्थ गोलोक में भी नहीं। जहां श्री राम तप करने लगभग 12 वर्ष बिताये हो उसकी महिमा क्या कहा जाए।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।