शुरू से ही भगवा दुर्ग के रूप में प्रतिष्ठित है रामनगरी
अयोध्या विस क्षेत्र से 14 में 6 बार भाजपा और 2 बार उसके पहले जनसंघ ने हासिल की है जीत
राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। धर्म की राजधानी राजनीतिक क्षितिज पर भी शुरू से ही भगवा दुर्ग के रूप में प्रतिष्ठित हुई। रामनगरी के नाम से अयोध्या विधानसभा क्षेत्र का गठन 1967 में हुआ। वह दौर कांग्रेस के वर्चस्व का था। इसके बावजूद अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से प्रथम विधायक होने का गौरव जनसंघ के बृजकिशोर अग्रवाल ने हासिल किया। उन्होंने 4 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की जो उस दौर के हिसाब से बड़ी जीत थी। 1969 में हुए अयोध्या विधानसभा के दूसरे चुनाव में कांग्रेस ने जरूर वापसी की और कांग्रेस प्रत्याशी विश्वनाथ कपूर ने भारतीय क्रांति दल के रामनारायण त्रिपाठी को पराजित किया।
कपूर को मिले 19 हजार 561 मत के मुकाबले त्रिपाठी 15 हजार 652 मत ही पा सके। हालांकि 1974 के विधानसभा चुनाव में जनसंघ ने यह सीट कांग्रेस से वापस छीन ली। हालांकि इस बार कांग्रेस मुकाबले में भी नहीं रह सकी। जनसंघ प्रत्याशी वेदप्रकाश अग्रवाल से भारतीय क्रांति दल के श्रीराम द्विवेदी ने नजदीकी मुकाबला किया। अग्रवाल को मिले 18 हजार 491 मत के मुकाबले द्विवेदी ने 18 हजार 208 मत प्राप्त किए। 1977 के चुनाव में जनसंघ और जनता पार्टी ने साथ मिल कर चुनाव लड़ा था। अयोध्या विधानसभा से जनता पार्टी के जयशंकर पांडेय मैदान में थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री को चार हजार 416 मतों से पराजित किया। कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री ने 1980 के चुनाव में पराजय का बदला लिया। हालांकि इस बार उनके सामने भाजपा के भगवान जायसवाल थे लेकिन उनके सामने टिक नहीं सके। खत्री ने 33 हजार 95 मत पाकर भगवान को 20 हजार से भी अधिक मतों के अंतराल से पराजित किया।
1985 का चुनाव तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर में लड़ा गया और इस बार भी सुरेंद्र प्रताप सिंह के रूप में कांग्रेस अयोध्या विधानसभा सीट बचाए रखने में कामयाब रही। इसके बाद से अयोध्या विधानसभा सीट कांग्रेस के लिए मृगमरीचिका सिद्ध हो रही है। 1989 के चुनाव में जनता दल के जयशंकर पांडेय ने जनसंघ के आधुनिक संस्करण भाजपा के लल्लू सिंह को नौ हजार 73 मतों से पराजित किया। हालांकि इसके बाद से लल्लू सिंह ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और भाजपा प्रत्याशी के रूप में लगातार पांच चुनाव जीत कर उन्होंने भगवा दुर्ग की प्रतिष्ठा को शिखर पर पहुंचाया। डबल हैट्रिक लगाने की कगार पर खड़े भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को चौंकाते हुए सपा के तेज नारायण पांडेय पवन ने 2012 में पराजित किया।
पवन को 55 हजार 282 मत और लल्लू सिंह को 49 हजार 857 मत प्राप्त हुए। 2014 से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पर किस्मत मेहरबान हुई। जहां भाजपा के लल्लू सिंह अयोध्या विधानसभा से युक्त फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से बड़ी जीत के साथ संसद पहुंचे, वहीं 2017 के विस चुनाव में वेद प्रकाश गुप्त ने भाजपा की पिछली पराजय का प्रचंड बदला लिया और 1 लाख सात हजार 14 मत प्राप्त कर उन्होंने सपा के तेज नारायण पांडेय पवन को 50 हजार 440 मतों से पराजित किया। इस बार पुनः वेद प्रकाश गुप्त और पवन पांडेय आमने-सामने हैं तथा यह उत्सुकता चरम पर है कि भाजपा दुर्ग बचाने में कामयाब होगी या सपा इस तिलिस्म को एक बार पुनरू तोड़ेगी।