आकाशदीप
शाहजहांपुर। भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की पत्नी रमाबाई अंबेडकर के 87वें परिनिर्वाण दिवस पर पंचशील सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा अशोक विहार स्थित सोसाइटी कार्यालय पर आयोजित श्रद्धांजलि एवं गोष्ठी आयोजित की गई।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए सोसाइटी अध्यक्ष रामसिंह ने कहा कि माता रमाबाई त्याग सादगी और बलिदान के प्रतीक थीं जिन्होंने बाबा साहेब डा. अंबेडकर के उच्च शिक्षा हासिल करने से लेकर सामाजिक आर्थिक आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और आखरी सांस तक उनका साथ दिया। श्री सिंह ने कहा कि माता रमाबाई के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है जिसके दम पर बाबा साहब ने सामाजिक रूप से दलितों और पिछड़ों को आजादी दिलाई। जिलाध्यक्ष अनुसूचित मोर्चा महानगर विनोद कनौजिया ने कहा कि बाबा साहेब ने भी अपने जीवन में रमाबाई के योगदान को बहुत अहम माना है। उन्होंने अपनी किताब थॉट्स ऑन पाकिस्तान को रमाबाई को समर्पित करते हुए लिखा कि उन्हें मामूली से भीमा से डा. अंबेडकर बनाने का श्रेय रमाबाई को ही जाता है। श्री कनौजिया ने कहा कि हर हालात में रमाबाई बाबा साहेब का साथ देती रहीं। वे वर्षों अपनी शिक्षा के लिए बाहर रहे और ऐसे समय में लोगों की बातें सुनते हुए भी रमाबाई ने घर को संभाले रखा। रमाबाई हर छोटा-बड़ा काम कर आजीविका चलातीं और बाबा साहेब की शिक्षा का खर्च जुटाने में भी उनकी मदद करती रहीं। गोष्ठी को अनुदेशक नीतू कुमारी शिक्षिका विजयलक्ष्मी, दिव्यांशु उपासक, दीपांजलि राय, ममता वर्मा, मीरा देवी आदि ने भी संबोधित किया।
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