बुन्देली समाज सम्मान 2023 से सम्मानित हुए प्रवीण

बुन्देली समाज सम्मान 2023 से सम्मानित हुए प्रवीण

पवन मिश्र
गुड्डन जायसवाल
खागा, फतेहपुर। जल, जंगल, जमीन, जीव-जंतु, नदी, तालाबों को बचाने तथा राज्य बुंदेलखंड बने, राजधानी चित्रकूट धाम बनाने का संकल्प लेकर विगत कई वर्षों से संघर्ष कर रहे जिला फतेहपुर के खागा नगर निवासी बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय को बीते दिनों महोबा में आयोजित एक कार्यक्रम में बुंदेली समाज सम्मान दिया गया। तारा पाटकर, पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, एमएलसी बाबू लाल तिवारी के हाथों यह सम्मान दिया गया। दोआबा की माटी से जुड़े प्रवीण पांडेय को सम्मानित किए जाने से क्षेत्र के लोग विशेषकर युवा बेहद प्रसन्न हैं। इससे पहले भी प्रवीण पांडेय को फतेहपुर डीएम द्वारा ससुर खदेरी नदी के संरक्षण में किए गए प्रयास को लेकर सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2020 में उन्हें शंकर लाल मेहरोत्रा सम्मान तथा 2022 में बुंदेली सम्मान मिल चुका है।

खून को स्याही बना 34 बार लिख चुके हैं पत्र
बुंदेलखंड राज्य बने, चित्रकूट राजधानी बने की मांग लेकर वर्ष 2014 से लेकर अब तक में प्रवीण पांडेय तथा स्वयंसेवकों द्वारा रिकार्ड 34 बार प्रधानमंत्री को संबोधित खून से खत लिखकर भेजा जा चुका है। पर्यावरण संरक्षण, जल, जंगल, जमीन, जीव-जंतुओं, तालाब-नदियों व झीलों के संरक्षण में चलाए जा रहे अभियान को निरंतर गति प्रदान करने में प्रवीण पांडेय का योगदान रहा है। स्कूल-कालेजों में जाकर छात्र-छात्राओं को प्राचीन धरोहरो के संरक्षण, क्षेत्र के प्राचीन इतिहास, नदी, तालाब पर निबंध, भाषण, लेख, कला आदि प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है।

जंगल बचाने में हुए कामयाब, बने पर्यावरण प्रेमी
छतरपुर, मध्य प्रदेश के बक्शावहा जंगल को कथित माफिया निगलने वाले थे। हीरों की लालच में सरकार भी जंगल काटने के पक्ष में खड़ी थी। स्थानीय लोग चाहकर भी जंगल नहीं बचा पा रहे थे। तभी बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष की पहल पर एक आंदोलन चलाया गया। जिसमें नारा दिया गया, हीरा नहीं हरियाली चाहिए, बुंदेलखंड की खुशहाली चाहिए। आंदोलन कई दिनों तक चलता रहा। आखिरकार, सरकार को झुकना पड़ा और जंगल बचाने की मुहिम सफल हुई। इस आंदोलन से देश के कोने-कोने में रहने वाले पर्यावरण प्रेमियों को जोड़ने में भी प्रवीण सफल हुए।

मां कालिंदी की पद यात्रा व अनशन से मिली ऊर्जा
पं. दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा पर चलने वाले प्रवीण पांडेय ने यमुना तटवर्ती गांवों की दिशा और दशा को नजदीक से देखने के लिए वर्ष 2022 में राजापुर से परसेड़ा तक करीब 240 किलोमीटर की पद यात्रा की। इस दौरान उन्होंने यमुना तटवर्ती गांवों के पिछड़ेपन को बेहद नजदीक से परखा। जिसके बारे में उन्होंने शासन व प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों का ध्यान आकृष्ट किया। अक्टूबर महीने में प्रवीण पांडेय ने तीन दशकों से ध्वस्त पड़े विजयीपुर-गाजीपुर मार्ग निर्माण के लिए अन्न त्याग करके 12 दिनाें तक अनशन किया। जिसमें अधिकारियों ने लिखित आश्वासन दिया कि जल्दी ही सड़क का निर्माण शुरू किया जाएगा। प्रवीण पांडेय कहते हैं कि आम जनमानस के लिए यदि वह कुछ करते हैं तो इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है।

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