श्याम सुन्दर पांडेय
कैमूर (बिहार)। जिस मंसूबे के साथ सरकार ने जिले का बंटवारा करके शाहाबाद आरा को चार भागों में बांटा, ताकि जनता के काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाय, उस राजनेताओं के सोच पर आज अधिकारी खरा नहीं उतर पा रहे हैं। दुर्गावती प्रखंड में 60 घंटों से पंचायत समिति सदस्य दुर्गावती में 13 सूत्रीय मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं लेकिन जिले के पदाधिकारी 25 किलोमीटर दूरी पर ही होने के बावजूद उन धरने पर बैठे पंचायत समिति सदस्यों से मिलने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं। प्रखंड के पंचायती राज पदाधिकारी अमितेश कुमार ने धरनास्थल पर पहुंचकर बैठे पंचायत समिति सदस्यों की मांग पत्र तो ले ली लेकिन जांच का कोई आश्वासन नहीं दिया जिस पर पंचायत समिति सदस्य कोई आश्वासन नहीं मिलने से संतुष्ट नहीं हो सके। धरने पर बैठे समिति के अध्यक्ष राजेश सिंह ने बताया कि पंचायत समिति सदस्य जो धरने पर बैठे हैं, उन्हें जांच का आश्वासन नहीं मिला है, इसलिए मंगलवार से भूख हड़ताल की जाएगी। भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे पदाधिकारी और प्रतिनिधि सही मायने में यदि किसी जांच एजेंसी से जांच कराई जाए तो बच नहीं पाएंगे। जब पंचायत समिति सदस्य जांच की मांग कर रहे हैं तो वैसे योजनाओं में यदि कहीं दाल में काला नहीं हो तो मांग पत्र को मान लेने में और जांच करा लेने में क्या दिक्कत है। क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अधिकार के दायरे में नहीं आता और यदि आता है तो इस जांच में आनाकानी करना क्या भ्रष्टाचार दो बढ़ावा देना नहीं माना जाना चाहिए।
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