गोविन्द वर्मा बाराबंकी। विगत तीन दिनों से तूफानी हवाओं के साथ हो रही मूसलाधार बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। तेज हवा एवं बारिश के चलते कम दिनों में तैयार होने वाले महीन धान की सभी प्रजातियों की हो रही बर्बादी पर किसान आंसू बहाने के सिवा कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।पक कर तैयार हो चुकी धान की यह किस्में पिछले 12 सितंबर की रात से हो रही लगातार बरसात के कारण पूरी तरह जमीन से चिपक गई हैं। विकास खंड मसौली के मुबारकपुर गांव के किसान सुरेश चंद, स्वामी प्रकाश व वीरेंद्र ने बताया कि अभी धान की बालियां निकल कर पकने की कगार पर ही थीं कि अचानक शुरू हुई तूफानी बारिश में पूरी फसल धराशायी हो गई है।
धान का पौधा जमीन से चिपका होने के कारण जहां पैदावार 75 प्रतिशत घट जायेगी वहीं जानवरों के लिए चारे के रूप में उपयोग होने वाला पुआल पूरी तरह से सड़ जायेगा। वर्ष 2018 में 13 सितंबर की रात को हुई तूफानी बारिश की भेंट चढ़ गई लालमती धान की फसल को लेकर इनके द्वारा उप कृषि निदेशक व बैंक प्रबंधक से लिखित शिकायत करने के बाद भी अब तक किसी तरह की कोई सूचना तक जिम्मेदार लोगों द्वारा नहीं दी गई है। गांव के किसान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि बैंक द्वारा किसानों को बगैर बताये उनके के सी सी एकाउंट से फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम का पैसा काट लिया जाता है परन्तु फसल का नुकसान होने पर क्लेम का भुगतान नहीं किया जाता है। पिछले साल हमारी दस बारह बीघा लालमती बरसात में सड़ गई थी बैंक मैनेजर से कहा तो उन्होंने सरकार नुकसान का आकलन कराएगी यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
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