सीज हास्पिटल में एक टांका लगाने का लिया जाता है एक हजार रूपये
सीज हास्पिटल में एक टांका लगाने का लिया जाता है एक हजार रूपये
जनता का खून चूसने वाले सीज अस्पताल में पीछे के दरवाजे से होता है उपचार
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। कोरोना काल में जहां डाक्टरों को कोरोना वारियर्स की नजर से देखा जा रहा था, वहीं रायबरेली में एक ऐसा भी हास्पिटल बना जो मरीजों का खून चूसने के लिए प्रसिद्ध हुआ और एक दिन में एक-एक लाख रुपए का बिल बनाकर लूट की सारी हदें पार कर दी। इस पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए वृतांता हास्पिटल को सीज भी किया था लेकिन आज फिर यह चर्चा में आ गया क्योंकि पीछे के दरवाजे से मरीजों का इलाज किया जाने लगा। हम बात कर रहे हैं रायबरेली के आईटीआई में बने वृतांता हास्पिटल की जिसे करोना काल में कोरोना पेसेंट के लिए बनाया गया था। नजरों में यह तब आया जब मामूली दवाओं को लाखों रुपए में बेचा गया। भाजपा नेता संतोष पांडेय ने इस पर विरोध भी किया था।प्रशासन ने मामले की जांच की और वृतांता हास्पिटल को लूट का अड्डा पाया जिसके बाद उसे सीज भी कर दिया गया। आज यह फिर चर्चा में आ गया ‘हम नहीं सुधरेंगे’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए पीछे के दरवाजे से हास्पिटल को खोलकर मरीजों का इलाज किया जाने लगा।
मामला तब पकड़ में आया जब आज आईटीआई के कर्मचारी वीरेंद्र पाठक के आंख के बगल में थोड़ी सी चोट लग गई। उनको किसी ने वृतांता हास्पिटल भेज दिया वहां जब वह इलाज कराने आए तो आगे से हास्पिटल को सीज पाया और पीछे से उन्हें एंट्री मिली। टांका लगवाने के बाद उनसे 1000 मांगे गए। वीरेंद्र पाठक के अनुसार उन्होंने पैसे कम करने की गुजारिश की तो डाक्टर ने कहा कि पैसे नहीं कम होंगे। इसी बात को लेकर श्रमिक संघ संगठन ने हास्पिटल में बवाल काट दिया। आशीष सिंह पटेल श्रमिक संघ महामंत्री ने जब इस बाबत डाक्टर से बात की तो उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि आपको जो करना हो जाकर के कर लीजिए। आपको जहां शिकायत करनी है और जिससे करनी हो, करिए। तब जाकर सच्चाई सामने आई कि आज भी सीज हास्पिटल में ईलाज हो रहा है। अब देखना यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी इस पर कार्रवाई करते हैं कि पहले की ही तरह कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते हैं?
क्या कहते हैं सीएमओ वीरेन्द्र कुमार?
जब इस बाबत दूरभाष के माध्यम से सीएमओ वीरेंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला आपके द्वारा मेरे संज्ञान में आया है। यह जांच का विषय है इसकी जाँच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारी महज खानापूर्ति करके अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक सीएमओ आफिस में इस हास्पिटल से लाखों रुपए प्रतिमाह दिया जाता है जिसके चलते साहब कोई कार्यवाही भी नहीं कर रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जिले में कितना बड़ा खेल चल रहा है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता हैं। जिले में कई हास्पिटल इसी तरीके से गरीब मरीजों के इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे है लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं हैं।
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