वसूलीबाजी का गढ़ बन गयी नैपालापुर पुलिस चौकी
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। कोतवाली देहात से सम्बन्धित पुलिस चौकी नैपालापुर इस समय पूरी तरह से वसूलीबाजली का गढ़ गयी है। नैपालापुर पुलिस चौकी पर इस समय बतौर प्रभारी के पद पर बीरेन्द्र मिश्रा तैनात है। श्री मिश्रा क्षेत्र के पेशेवर अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजने के बजाय जांच और मिले शिकायती प्रार्थना पत्र में अपनी आमदनी का जरिया तलाशने लगते है। यही कारण है कि नैपालपुर पुलिस चौकी पर किसी भी फरियादी को इंसाफ नही मिल पाता है और गम्भीर मामले या तो दब जाते है या फिर हाई प्रोफाइल हो जाते है।
ऐसे कई मामले सामने आ भी चुके है। रोहित काण्ड में अगर चौकी प्रभारी बीरेन्द्र मिश्रा ने ईमानदारी के साथ काम कर दिया होता तो अब तक रोहित काण्ड में पीड़ितो को इंसाफ मिल गया होता लेकिन इस मामले में जांच नैपालापुर पुलिस चौकी प्रभारी को दी गयी वह इस जांच में अपनी आमदनी का श्रोत खोजने लगे। पीड़ित की दुखभरी कहानी थी तो वह चौकी प्रभारी की जेबो का वजन नही तौल सका तो चौकी प्रभारी श्री मिश्रा ने आरोपियों का पक्ष लेकर उनसे अपनी जेबो को तौलवाने की योजना बनाने लगे। पीड़ित पक्ष ने इसाफ पाने की ठान ली है तो वह पुलिस के आधिकारियों से सम्पर्क कर इंसाफ मांगने लगे है मामला राजधानी के पुलिस अधिकारियों के कार्यालय में गूंजने लगा और पूरे क्षेत्र में प्रभारी बीरेन्द्र मिश्रा चर्चा का विषय बन गये। मोहल्ले के लोग कहने लगे है कि श्री मिश्रा की जेब गर्म नही की गयी इसलिये उन्होने जांच को रसातल में डूबोने का प्रयास किया है।
मामला पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में आया तो पुलिस अधिकारियों ने श्री मिश्रा पर तो कोई ठोस कार्यवाही नही की लेकिन जांच बीरेन्द्र मिश्रा से लेकर दूसरे पुलिस अधिकारी के हवाले कर दी है। विगत दिवस दूसरे जांच अधिकारी जांच करने गये थे और उन्होने दबी जुबान स्वीकार किया कि मामला गम्भीर है जांच गम्भीरता के साथ करनी होगी। नैपलापुर पुलिस चौकी प्रभारी बीरेन्द्र मिश्रा का आलम यह है कि वह स्वयं और उनके कुछ मुंह लगे सिपाही जैसे ही कोई शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस चौकी पर आता है तो सिपाही अपनी खाली जेबो को भरने की सोचने लगते है तो उनके खास मुंहलगे सिपाही अपनी मोटर साइकिल की टंकी को प्रट्रोल से फुल करवाने का जुगाड़ लगाने लगते है। जिसका परिणाम यह निकलता है कि गरीब को इंसाफ नही मिल पाता है वह चौकी के चक्कर ही काटा करता है।
नैपालापुर पुलिस चौकी पर इंसाफ उसी पीड़ित को मिलता है जो चौकी प्रभारी की जेबो का वनज तौलने में सक्षम होता है। जो चौकी प्रभारी कत्ल की घटना में जांच को इस लिये दबा रहा हो कि उसकी जेबो का वजन नही तौला गया है तो ऐसे पुलिस अधिकारी से उम्मीद ही क्या की जा सकती है। इस बात की चर्चाएं चौतरफा हो रही है। भले ही चौकी प्रभारी बीरेन्द्र मिश्रा यह समझ रहे हो कि वह जो कर रहे है इसकी जानकारी किसी को नहीं है यह केवल उनकी सोच है श्री मिश्रा जो भी कर रहे है क्षेत्र में उसकी चर्चा हो रही है। क्षेत्र के लोग उनको वसूबाज चौकी प्रभारी के नाम से पुकारते है यह बात अलग है कि कोई भी व्यक्ति उनके सामने उनके वसूली बाज प्रभारी नही कहता है।
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