मातृ

मातृ

तमाम हलचलों से परिपूर्ण होती जो कतार है,
उसके विषय में सिर्फ परिवर्तन करता बखान है।
जो हर एक अवगुणों को स्वयं में समा लेती है,
उस मातृ को इस बेटी का भावात्मक प्रणाम है।
हर एक पक्ष में सार्थक अवतार है,
हर एक हालातों को करती स्वीकार है।
माम्तव का आँचल भी कितना विशाल है,
हर एक आकांक्षाओं से बढ़कर इसकी
स्नेहता का रफ्तार है।
हर एक विलक्षणताओं से उभरती हुई नयी बुनियाद है,
मातृ की उदारता का कोई तथ्य ना पर्याप्त है।
संतानों कि रक्षा के लिए सदैव जीवन कुर्बान है,
हर एक अवगुणों को मिटाने का सामर्थ्य तैयार है।
जिसका अन्त पाना सफ़र का आखरी पड़ाव है,
उस मातृ कि विचारधाराओं को मेरा सलाम है।
आँचल की रचनाओं में मिलते सिर्फ एक
समान विचार है,
जिसे कविता के माध्यम से करते स्वीकार है।
मातृ का ही आभार है,
इस उत्तरदायित्व को सम्पन्न करने का प्राप्त सौभाग्य है।

युवा लेखिका-आँचल सिंह
जौनपुर
(उत्तरप्रदेश)।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Read More

Recent