बिना टेण्डर ही पौधों को ट्रांसलोकेट कराकर वन विभाग में लाखों रुपयों का हुआ खेल
बिना टेण्डर ही पौधों को ट्रांसलोकेट कराकर वन विभाग में लाखों रुपयों का हुआ खेल
सरकार की गाइड लाइन को ठेंगा दिखा ईटीसी योजना केमें पेड़ों को कराया गया ट्रांसलोकेट
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की सोच पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अधिक से अधिक पौधरोपण किये जाने की है। दिनोंदिन बढ़ रहे प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए प्रकृति का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि प्रयागराज-लखनऊ राज मार्ग को फोर लेन बनाने के लिए सड़क के किनारे के पेड़ों को वन विभाग ने काटना शुरू किया गया लेकिन पेड़ों के कटान पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा वन विभाग को उन पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराये जाने का आदेश दिया। उसी के अनुपालन के क्रम में विभाग ने ईटीसी योजना के अंतर्गत पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराने का काम सरकार की गाइडलाइन के शुरू करना था लेकिन विभाग के चीफ ने अपने सिपहसलारों और चहेतों को फायदा पहुंचा अपनी जेब भरने के लिए लाखों रुपयों का बिना टेंडर ही बंदर बाँट कर लिया।
साहब ने बिना टेंडर ही ट्रांसप्लांट का काम अपने जानने वाली फर्म को देकर करवाया जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 10 लाख है। शहर के मामा चौराहे से लेकर ऊंचाहार तक सड़क के किनारे के पेड़ो को जेसीबी और हाईड्रा लगाकर उखाड़ करके ट्रांसलोकेट किया गया। लाखों रुपयों का खेल बड़ी ही आसानी से करके अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लिया। अब सवाल उठता है कि जब सरकार का फरमान है कि कोई भी सरकारी धन बिना जेम पोर्टल पर टेंडर निकाले नहीं कराया जाएगा तो इतना बड़ा फैसला साहब में किसके आदेश पर ले लिया। सदर, डलमऊ और लालगंज रेंज में हुए इस बड़े घोटाले पर पर्दा डालने का भरकस प्रयास करके साहब अपने मंसूबे पूरे करने में लगभग कामयाब भी नजर आ रहे हैं।
प्रतिवर्ष कागजों पर लगने वाले लाखों पौधे देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं
प्रत्येक जिले में जीवनदायनी आक्सीजन प्रदान करने वाले छायादार और उपयोगी लाखों पेड़ों को लगाए जाने का लक्ष्य रखा जाता है। लक्ष्य आते ही ताबड़तोड़ पौधारोपण करके बड़ी शान से फोटो भी खिंचाया जाता है लेकिन कुछ समय बीतने के बाद देखभाल के अभाव में अधिकांश पौधे या तो सूख जाते हैं अथवा जंगली जानवरों का आहार बन जाते हैं। अगर वास्तविकता में धरातल पर उतर कर देखा जाए तो रोपित किये गये लाखों पौधों में महज कुछ ही शेष मिलेंगे। अब देखना है ईमानदार डीएम माला श्रीवास्तव की नजर कब इस फर्जीवाडे पर पड़ती है। साथ ही कब इस वित्तीय वर्ष में किये गए पौधरोपण की जांच कराई जाती है।
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