ट्रक की चपेट में आने से विवाहिता की मौत

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चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। क्षेत्र के गोड़िला फाटक बाजार में श्री विश्वनाथ पीजी कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने गावों व बाजार में मास्क व सेनिटाइजर वितरित किया। श्री विश्वनाथ पीजी कॉलेज के एनएसएस के स्वयंसेवकों ने रविवार को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मास्क व सेनेटाइजर का वितरण किया। कोविड 19 से बचाव व रोकथाम को लेकर चलाये गये इस अभियान के दौरान एनएसएस के कार्यक्रमाधिकारी डॉ. सतेंद्र कुमार रॉय के नेतृत्व में यह अभियान चलाया गया। एनएसएस के स्वयंसेवकों ने कुड़ियारी, गोड़िला, छभवां चक हकीमी गोड़िला बाजार ताखा बाजार सहित अन्य जगहों पर मास्क, सेनेटाइजर व साबून का वितरण किया। इस दौरान लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करने की सलाह देने के साथ आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने को कहा गया इस कार्यक्रम में सैकड़ों समेत बड़ी संख्या में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोग उपस्थित रहे। प्राचार्य डॉ मनोज सिंह ने स्वयंसेवकों को कोरोना योद्घा के रुप में संबोधित कर उत्साहबर्द्घन किया। अभियान में स्वयंसेवक अनूप जायसवाल, हेमंत यादव, राजकमल साहू, विवेक विश्वकर्मा, शिवा शर्मा, आदि लोग उपस्थित रहें।

चंदन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। सोमवार की सुबह अपने देवर व अपनी पुत्री के साथ बाइक पर सवार होकर दवा लेने शाहगंज जा रही थी कि क्षेत्र के निजमापुर गांव के समीप जर्जर सड़क के गड्ढे में बाइक असंतुलित होकर गिर पड़ी इसी दौरान पीछे आ रही ट्रक ने अपने चपेट में ले लिया। जिससे विवाहिता की मौके पर मौत हो गई। जबकि उसके देवर को मामूली चोटें आई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आवश्यक कार्रवाई में जुटी है।
खुटहन थाना क्षेत्र के कानामऊ गांव निवासी रामधनी की पत्नी सुशीला 28 सोमवार की सुबह करीब ग्यारह बजे अपने देवर सियाराम व दो वर्षीय पुत्री के साथ बाइक पर सवार होकर शाहगंज दवा लेने जा रही थी कि क्षेत्र के निजमापुर गांव के समीप सड़क पर बने गड्डे में बाइक असंतुलित होकर गिर पड़ी इसी दौरान पीछे से तेज रफ्तार में आ रही ट्रक ने सुशीला को अपने चपेट में ले लिया। जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई। जबकि उसकी पुत्री व देवर को मामूली चोटें आई हैं। सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। मौत की खबर मिलने पर स्वजनों में कोहराम मच गया है।

प्रदीप दूबे सुइथाकला, जौनपुर। प्रदेश में फर्जी शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नौकरी कर रहे शिक्षकों पर शासन ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए सभी शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश में चल रही जांच प्रक्रिया के क्रम कई शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही भी की गई है। विकासखण्ड सुइथाकला में फर्जी शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत तीन सहायक अध्यापकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांचोपरान्त 5 अप्रैल 019 को उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। जिनमें प्राथमिक विद्यालय जमदरा में कार्यरत शिक्षक राजा राम सिंह पुत्र रंजीत सिंह व प्राथमिक विद्यालय बाल्मीकपुर में नियुक्त शिक्षक सदाबृज यादव पुत्र इन्द्र देव यादव तथा प्राथमिक विद्यालय पूरा असालतखां में तैनात नरसिंह यादव पुत्र शिव मूरत यादव शामिल है। उक्त तीनों शिक्षक परिषदीय विद्यालयों में बतौर उर्दू शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन में तीनों शिक्षकों की मुअल्लिम ए उर्दू तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा के अभिलेखों में भिन्नता पायी गई थी, जिसके सम्बन्ध में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व द्वारा उक्त शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, लेकिन आरोपी शिक्षकों द्वारा कोई स्पष्टीकरण न दिए जाने के फलस्वरूप तीनो शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गयी। प्रकरण में अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश के अनुक्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी द्वारा 03 जुलाई को तीनों शिक्षकों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया गया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश के क्रम में खण्ड शिक्षा अधिकारी राज नारायण पाठक ने प्रकरण के सम्बन्ध में स्थानीय थाने पर लिखित तहरीर दी। प्रकरण में पुलिस उक्त तीनों शिक्षकों के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 419, 420, 467, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर आवश्यक कार्यवाही कर रही है। जौनपुर। भाजपा कार्यालय पर सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुये जिलाध्यक्ष श्री पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें आपातकाल पर चर्चा हुई। जिलाध्यक्ष ने कहा कि 25 जून का दिन एक विवादस्पद फैसले के लिए जाना जाता है यही वह दिन था जब देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता को बेवजह मुश्किलों के समुंदर में धकेल दिया। 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई और 26 जून 1975 से 21-मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि तक आपातकाल जारी रहा। आपातकाल के फैसले को लेकर इंदिरा गांधी द्वारा कई दलीलें दी गईं। देश को गंभीर खतरा बताया गया, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी उन्होंने कहा कि हमारे जिले जौनपुर से भी कई नेता जेल गए जिसमे मुख्य रूप से पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह अल्प आयु में ही जेल गए कैलाश विश्वकर्मा जी, हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव तमाम नेता जेल गये थे। जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी जब इंदिरा गांधी के खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की राजनारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर 6 आरोप लगाये थे 12 जून 1975 को राजनारायण की इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया और इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया और 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ता इसलिए इस लटकती तलवार से बचने के लिए प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर आपात बैठक बुलाई गई। इस दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डीके बरुआ ने इंदिरा गांधी को सुझाव दिया कि अंतिम फैसला आने तक वो कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं और प्रधानमंत्री की कुर्सी वह खुद संभाल लेंगे लेकिन बरुआ का यह सुझाव इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को पसंद नहीं आया संजय की सलाह पर इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 जून को सुप्रीम कोर्ट में अपील की सुप्रीम कोर्ट ने अगले दिन 24 जून 1975 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वो इस फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति दे दी, मगर साथ ही कहा कि वो अंतिम फैसला आने तक सांसद के रूप में मतदान नहीं कर सकतीं विपक्ष के नेता सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला आने तक नैतिक तौर पर इंदिरा गांधी के इस्तीफे पर अड़ गए। एक तरफ इंदिरा गांधी कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहीं थीं, दूसरी तरफ विपक्ष उन्हें घेरने में जुटा हुआ था। गुजरात और बिहार में छात्रों के आंदोलन के बाद विपक्ष कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हो गया। लोकनायक कहे जाने वाले जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुआई में विपक्ष लगातार कांग्रेस सरकार पर हमला कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी ने एक रैली का आयोजन किया जिसमे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, आचार्य जेबी कृपलानी, मोरारजी देसाई और चंद्रशेखर जैसे तमाम दिग्गज नेता एक साथ एक मंच पर मौजूद थे। विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए जिसके बाद सभी विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए 26 जून 1975 को सुबह 6 बजे कैबिनेट की एक बैठक बुलाई गई इस बैठक के बाद इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो के ऑफिस पहुंचकर देश को संबोधित किया उन्होंने कहा कि आपातकाल के पीछे आंतरिक अशांति को वजह बताई लेकिन इसके खिलाफ गहरी साजिश रची गई इसके बाद प्रेस की आजादी छीन ली गई, कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया अखबार तो बाद में फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है। ये पहले सरकार को बताना पड़ता था। इमरजेंसी का विरोध करने वालों को इंदिरा गांधी ने जेल भेज दिया था 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई। इंदिरा गांधी और कांग्रेस आपातकाल को संविधान के अनुसार लिए गया फैसला बताते रहे, लेकिन वास्तव में उन्होंने 1975 में संविधान द्वारा दिए गए इस अधिकार का दुरुपयोग किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, जिला महामंत्री शुशील मिश्रा, पीयूष गुप्ता, जिला मंत्री राजू दादा, अभय राय डीसीएफ चेयरमैन धन्यजय सिंह, भूपेंद्र पांडे, आमोद सिंह, विनीत शुक्ला, राजवीर दुर्गवंशी, रोहन सिंह, इन्द्रसेन सिंह प्रमोद, अनिल गुप्ता, प्रमोद प्रजापति, भाजयुमो जिला महामंत्री विकास ओझा, शुभम मौर्या आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सौरभ सिंह जौनपुर। सिकरारा पुलिस ने कालेज प्रबंधक सभापति दुबे मर्डर केश का पर्दाफास कर दिया है। पुलिस के अनुसार हत्या प्रबंधक के नौकर ने ही डंडे से ही पीटकर किया है। एसपी अशोक कुमार सिंह ने आज प्रेस कांफ्रेन्स में बताया कि सिकरारा थाना क्षेत्र के उतिराई गांव में पंडित सभापति दुबे इंटर कॉलेज के प्रबंधक सभापति दुबे की हत्या अज्ञात बदमाशों द्वारा कर दिया गया था, घटना के बाद पुलिस कई विन्दुओं पर जांच कर रही थी। पुलिस उनके नौकर चंद्रप्रकाश पांडेय पुत्र दयाशंकर निवासी नन्दलालपुर थाना रामपुर से पूंछताछ किया तो पहले वह पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया बाद में कड़ाई से पूंछताछ किया तो उसने खुद अपने मालिक को मौत के घाट उतारना कबूल कर लिया। उसके निशानदेही पर हत्या में प्रयोग किया डंडा, लूट के 70 हजार रुपये और विद्यालय के कागजात बरामद हुआ है। पुछताछ में आरोपी ने बताया कि प्रबन्धक मुझसे खाना बनवाते थे तथा निर्वस्त्र होकर शरीर की मालिश करवाते थे, जिसके कारण मैं काम छोड़ने को कहा था लेकिन वे दूसरे नौकर तक आने तक मुझे न छोड़ रहे थे न ही मेरी तनख्वाह दे रहे थे। इसी से अजीज आकर मैंने उन्हें मार दिया।

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