महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने स्वास्थ्य के लिए संगीत चिकित्सा पर किया शोध प्रस्तुत
विविध व्याधियों पर भारतीय संगीत चिकित्सा अत्यंत प्रभावी!: शॉन क्लार्क
मुंबई। आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध शास्त्रीय संगीत मनुष्य के कई रोग ठीक होने और औषधी निर्भरता घटाने में सहायता कर सकता है, यह पहिले से प्रमाणित है लेकीन फिर भी आज के नए दौर में आधुनिक तंत्रज्ञान आधारित मापदंड पर इसे साबित करने की जिम्मेदारी महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने उठायी, ऐसी जानकारी महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध विभाग के रुपेश रेडकर ने दी है।
इसलिए महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने उच्च-रक्तचाप (हाइपरटेंशन) से पीड़ित व्यक्तियों पर संगीत चिकित्सा परीक्षण द्वारा शोध किया। इस शोध से ज्ञात हुआ कि, आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक नाद अथवा संगीत व्यक्ति को विविध रोगों पर नियंत्रण प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं। इस शोध में दिखाई दिया है कि, विदेशी संगीत चिकित्सा की अपेक्षा भारतीय संगीत चिकित्सा अधिक प्रभावी है, ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शॉन क्लार्क ने किया।
वह www.hinduscriptures.com नामक वेब साईट द्वारा आयोजित स्वास्थ्य के लिए संगीत चिकित्सा इस विषय पर फेसबुक वेबिनार में बोल रहे थे। इस वेबिनार का आयोजन जालस्थल की संस्थापिका और ‘दि हिन्दू कल्चर एंड लाइफस्टाइल -दि वेज सफारी’ इस ग्रंथ की लेखिका श्रीमती वैशाली शहा ने किया था।
इस समय संशोधक क्लार्क ने संगीत का व्यक्तिपर आध्यात्मिक दृष्टि से होनेवाले परिणाम, इस विषय का अध्ययन करने के लिए महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले जी के मार्गदर्शन में किया हुआ शोध प्रस्तुत किया गया।
संगीत का व्यक्ति पर होनेवाले परिणाम के अध्ययन के लिए उच्च रक्तचाप से पीडित 5 व्यक्तियों को शास्त्रीय संगीत के राग, गोरख कल्याण का सीधा प्रस्तुतीकरण एक घंटा सुनने के लिए बैठाया। कुछ संगीत विशेषज्ञों के मतानुसार राग, गोरख कल्याण रक्तचाप घटाने के लिए उपयुक्त है। यह राग प्रस्तुत करनेवाले कलाकार प्रदीप चिटणीस उच्च आध्यात्मिक स्तर के तथा आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक थे। इस प्रयोग के 48 घंटे पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में उचित सावधानी बरतकर इस परीक्षण में सम्मिलित व्यक्तियों की उच्च-रक्तचाप की औषधियां बंद कर दी गई थीं। राग गोरखकल्याण, सुनने से पूर्व और पश्चात सम्मिलित व्यक्तियों के रक्तचाप का निरीक्षण किया गया तथा यूनिवर्सल ऑरा स्कॅनर (यू.ए.एस.) उपकरण द्वारा उनकी सकारात्मक अथवा नकारात्मक ऊर्जा पर संगीत के होनेवाले परिणाम का अध्ययन किया गिया। राग गोरखकल्याण, सुनने के उपरांत दूसरे दिन सवेरे सभी के रक्तचाप का निरीक्षण किया गया। उस समय 5 में से 4 व्यक्तियों का रक्तचाप संगीत सुनने से पूर्व के उनके रक्तचाप की तुलना में घट गया था। एक व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य था । विशेष यह है कि बढा हुआ रक्तचाप घटा और 72 घंटे औषधियां न लेने पर भी वह बना रहा । संगीत सुनने के पश्चात व्यक्तियों की नकारात्मक ऊर्जा औसत 60 प्रतिशत घट गई और उनकी सकारात्मक ऊर्जा में औसत 155 प्रतिशत वृद्धि हुई। इस प्रकार के संगीत का परिणाम दर्शानेवाले अन्य परीक्षणों के संबंध में विस्तृत जानकारी भी शाॅन क्लार्क ने इस समय दी।
इस शोध में ब्रिटिश बैंड मार्कोनी यूनियन का वेटलेस रिलैक्स म्यूजिक भी सुनाया। इस प्रयोग के पश्चात भी दो लोगों का रक्तचाप घट गया; परंतु दोनों की नाडी के स्पंदन बढ गए। यू.ए.एस. उपकरण द्वारा किए गए परीक्षण में उनकी नकारात्मकता औसत 53 प्रतिशत वृद्धि गई और दूसरे का सकारात्मक वलय पूर्णतः घट गया । इससे यह फिर से यह सिद्ध होता है कि, भारतीय संगीत और नाद चिकित्सा से व्याधियां घटती हैं तथा व्यक्ति का सकारात्मक वलय भी बढ़ता है। विदेशी संगीत के कारण व्याधि कम होने पर भी सकारात्मकता घट कर नकारात्मकता बढ़ती है।
इस शोध के माध्यम से ज्ञात हुआ कि, व्यक्ति पर केवल मानसिक ही नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर पर भी परिणाम होता है। संगीत का उत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को आध्यात्मिकदृष्टि से शुद्ध संगीत सुनना महत्त्वपूर्ण है। हमारी प्राचीन संगीत चिकित्सा याने म्युजिक थेरेपी पर आज के चिकित्सा शास्त्रों को विचार करना चाहिए; क्योंकि उसके लिए कोई खर्च नहीं होता; परन्तु इसके लाभ भी बहुत हैं, ऐसा भी शाॅन क्लार्क ने कहा। इस शोध का प्रस्तुतीकरण www.hinduscriptures.com इस वेब साईट के फेसबुक पेज पर उपलब्ध है, ऐसा महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध विभाग के रुपेश रेडकर ने जानकारी दी है।
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