प्रेम का ढाई आखर है, जिसने पढ़ा जीतने की कला उसके नाम है
कवि आत्मा का मौलिक व विशिष्ट संगीतः मित्तल
अयोध्या महोत्सव में कवियों ने अपनी रचनाओं से बांधा समां
राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। अयोध्या महोत्सव में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें हास्य, श्रृंगार, वीर रस की कविताओं ने श्रोताओं का मनमोह लिया। खराब मौसम के बाद भी कवियों को सुनने के लिए महोत्सव के प्रांगण में श्रोताओं की अच्छी भीड़ रही। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल व विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख मसौधा अभिषेक सिंह रहे। अध्यक्षता बाबा सत्य नारायन मौर्य ने की। संचालन रामकिशोर तिवारी ने किया। राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कहा कि कविता आत्मा का मौलिक व विशिष्ट संगीत है। कविता लोगों में संस्कार का रोपण करती है। अयोध्या महोत्सव इस सांस्कृतिक विरासत को संजोने के साथ इसे संबल प्रदान कर रहा है। अयोध्या महोत्सव न्यास के अध्यक्ष हरीश श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया और आयोजन पर प्रकाश डाला।
अंतरराष्ट्रीय कलाकार सत्यनारायन मौर्य ने अपनी कविताओं श्रोताओं का मन मोह लिया। कवि शिव कुमार व्यास ने ‘ऐसा लगता था की धरती पर शौर्य उतर आया है’ की प्रस्तुति से श्रोताओं की तालियां बटोरीं। ज्योति त्रिपाठी ने ‘तिरंगे पर जो आंच आए अपमान सबका है’, अजय प्रधान ने ‘एसी के पंखे को नीम की छांव जरुरी है’, अरुण द्विवेदी ने ‘प्रेम का ढाई आखर है जिसने पढ़ा जीतने की कला उसके नाम है‘, अन्वेषा श्रीवास्तव ने ‘अगर कैकई न होती तो श्रीराम न होते’ की कविता की मंत्र-मुग्ध प्रस्तुति की। इस अवसर पर रवि तिवारी, आकाश अग्रवाल, नाहिद कैफ, अरुण द्विवेदी, रेणुका रंजन श्रीवास्तव, चंद्रशेखर तिवारी, विजय यादव, अनुजेंद्र तिवारी, विवेक पांडेय, एसबी सागर, बृजमोहन तिवारी, मोहित मिश्रा, श्रृष्टि सिंह, श्रद्धा तिवारी, श्रुति श्रीवास्तव, डा. निखिल उपाध्याय, ऋचा उपाध्याय आदि मौजूद रहे।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।