जिले के प्राइवेट क्लीनिकों पर उपचार के नाम पर मची लूट
प्राइवेट नर्सिंग होमों की नजर मरीज की जेब पर खून चूसने वाले खटमल की तरह काम करते नर्सिंग होम
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। जिले का स्वास्थ्य विभाग इतना लचर है कि उसकी नाक के नीचे अनेकों क्लीनिक संचालित हो रहे है। जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय से लगाकर गांव कस्बे मोहल्ले आदि में ऐसे हास्पिटलों की भरमार है जहां पर आप तीमारदार बनकर किसी को भर्ती ती करा सकते हैं लेकिन वहां पर समुचित इलाज नहीं हो पाएगा। इसकी एक बानगी सीतापुर से हरगांव रोड पर पड़ने वाले पर सारा माल में देखी जा सकती जहां पर चैराहे से ठीक पहले संचालित मा पॉलीक्लिनिक चल रहा है जो वर्षों से अनफिट दांतो के द्वारा कार्य किया जा रहा है।सीतापुर के स्वास्थ्य विभाग की लचर रवैया ऐसा संदेश दे रही है।
और इतिहास में साबित भी हो चुका है। जहां पर अनफिट लोग बैठे हुए हैं तो वह इलाज काहे का करें। आपकी जेब पर भारी पड़ने वाले इनके महंगे चार्ज के बावजूद आपके मरीज पर भारी पड़ सकता है। आप ऐसे नर्सिंग होमों, हास्पिटलों, क्लिनिकों में जाने से पहले सौ बार सोचिएगा जरूर। कहीं ऐसा ना हो कि आप खुद का या अपने किसी परिचित का इलाज संतोषजनक न करा सकें। आपको ऐसे नर्सिंग होम भी मिल जाएंगे जहां पर चैबीसों घंटे नामचीन डिग्री धारी डॉक्टरों के नाम जितने मजबूत फ्लेक्स बोर्ड पर लिखे मिल जाएंगे लेकिन अंदर से उतने ही खोखले होंगे। जैसा कि आपसे हमने वादा किया था कि सीतापुर के उत्तर नेपालापुर में लहरपुर रोड पर स्थित उजाला नर्सिंग होम के मालिकों के नाम बताएंगे।
सूत्रों के अनुसार उजाला नर्सिंग होम में तीन मालिक हैं। जिनके नाम है प्रशांत गुप्ता आर.के.सिंह और आर.के.जायसवाल। सूत्रों के मुताबिक इनमें से आर.के जायसवाल के पास फार्मासिस्ट की डिग्री है। प्रशांत गुप्ता और आर.के सिंह के पास डीएमएलटी की डिग्री है। जब यह बात सच है तो उजाला नर्सिंग होम के मालिक आर.के. जायसवाल फार्मासिस्ट की हैसियत रखते हैं तो वह मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं। यदि आरके जायसवाल मेडिकल स्टोर खोले हैं तो क्या उनका मेडिकल का लाइसेंस खोलने के लिए नर्स उजाला नर्सिंग होम के अंदर की परमिशन है या नहीं यह भी प्रश्न लाजमी है। शेष दोनों मालिक प्रशांत गुप्ता और आरके सिंह लैब टेक्नीशियन होने के नाते अपनी पैथोलॉजी लैब चला सकते हैं जैसा कि विशेषज्ञ बताते हैं। इनकी डिग्रियों से यही आंका जा सकता है। लेकिन यह तीनों मिलकर उजाला नर्सिंग होम संचालित कर रहे हैं। यदि यह लोग नर्सिंग होम में आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं तो सवाल उठना लाजमी है कि यहां पर आने वाले मरीजों का कितना सही इलाज किया जा रहा होगा।
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