समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो समाज के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं परंतु कुछ बाधाओं से उनकी यह इच्छा समाप्त हो जाती है तो कुछ इन बाधाओं में नये रास्ते बना लेते हैं और अपनी सोच और कार्य से समाज को एक नयी दिशा देते हैं। ऐसे एक हैं पत्रकार कृष्णा सिंह जिननके जन्मदिन पर सप्रेम भेंट…
कुछ बुलन्द हौंसले है तो कुछ मेरी सोच की चाह है।
बना हुआ जो हमारी सोच का सार है, वही हमारा समाज है
अच्छाईयां कहीं मिले तो कुछ कहीं बुराईयों का वास है,
मेरे लिए इसका हर एक पहलू बहुत ही कमाल है
जिससे मिलता मेरे कार्य को आकार है जिसे समाज का सिर्फ ध्यान है।
कुछ बुलन्द हौंसले हैं तो कुछ मेरी सोच की चाह है
मेरी पहचान में मेरे समाज का योगदान है,
मेरे कार्यों का सिर्फ इतना आधार है।
पिछड़ों को मिले उनका समान अधिकार,
जनहित कल्याण से समाज का विस्तार है
मेरी कोशिश सिर्फ इतना फिलहाल है।
कुछ बुलन्द हौंसले हैं तो कुछ मेरी सोच की चाह है।
इस रास्ते की रूकावटें इतनी खास है
कभी मेरी सोच पर करती प्रहार है,
मन मेरा इतना निस्वार्थ है,
इसकी रूकावटों से मिलता नया विचार है
इसलिए कृष्णा की कोशिश आज भी यही लगातार है
समाज कि दिशा बदले जिससे जनहित का होता कल्याण है।
कुछ बुलन्द हौंसले हैं तो कुछ मेरी सोच की चाह है।
आंचल सिंह
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)।
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