Jaunpur News : संकीर्ण सोच समाज के लिये संकट: कवियों के उद्गार
Jaunpur News : संकीर्ण सोच समाज के लिये संकट: कवियों के उद्गार
राजीव पाठक
जौनपुर। साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की काव्य गोष्ठी राजगढ़ कॉलोनी में प्रो. पीसी विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आयोजित हुई। गोष्ठी में ख्यात शायर अहमद निसार ने अपना शेर जो दिलों पर बदगुमानी की लकीरें खीचता है/कभी उस कलम की जद में मेरी अंगुलियां न आए सुनाकर समाज में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार किया। वहीं गिरीश जी का मुक्तक उजाला बहुत दूर तुमसे नही है/अंधेरे में दीपक जलाकर तो देखो आशा का संदेश दे गया। प्रो. आरएन सिंह की पंक्तिऐसा वचन न दीजिए, मिले अन्त में शूल नैतिक मूल्यों के क्षरण को इंगित कर गई।
व्यंगकार प्रखर जी की रचना*संसद ठप है, देश मौन है, ये कैसी खुद्दारी है, राजनीति पर तीखी टिप्पणी करती लगी। अशोक मिश्र की कविता सच कहना, फिर सुंदर कहना/शिवभी हो, यह रखना ध्यान, कविता को पाजेब बनाकर क्या होगा तेरा कल्याणकवि कर्म पर प्रकाश डाला। प्रेम जौनपुरी का शेर, आईना लिए जो फिरता है, देखे खुद भी ये लाज़िम है/वर्ना उस पर इस दुनिया का इल्जाम नहीं, इल्जाम भी है। खूब पसंद किया गया। गोष्ठी में नंद लाल समीर, डा. सागर, डा. अजय विक्रम सिंह, अनिल उपाध्याय, राजेश पांडेय, आशिक जौनपुरी, आसिफ फर्रुखाबादी, सुशील दुबे, फूलचंद भारती, दमयंती सिंह, अमृत प्रकाश, डा. शुभ्रा सिंह, विशाल सिंह, संजय सेठ, राजेंद्र सिंह ने गोष्ठी में भाग लिया। संचालन रामजीत मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आरएन सिंह ने किया।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।