Jaunpur News : जरा याद करो कुर्बानी…
Jaunpur News : जरा याद करो कुर्बानी…
सिमटती शहादत को भूलते लोग
क्रान्तिकारियों के शहादत की हो रही उपेक्षा, जिम्मेदार बेखबर
केराकत, जौनपुर। शहीद स्तंभ एक ऐसी जगह जहां पर हम लोग शहीदों को याद कर सकते हैं। इस नाम को सुनते ही हमारे दिलो दिमाग में हर उन शहीदों की याद तरोताजा हो जाता है जो देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की आहुति दे दी। जरा सोचिए उनकी याद में बना शहीद स्तंभ की स्थिति अगर जीर्ण-शीर्ण हो या शहीद स्तंभ पर लोग अपने घरों या दुकानों का कचरा फेके तो क्या कहेंगे, आप इसे इस देश का दुर्भाग्य कहे या कुछ और कहे।
जी हम बात कर रहे हैं केराकत तहसील क्षेत्र के मुफ्तीगंज बाजार के मध्य में बने महात्मा गांधी चौबूतरा के पास बने शहीद स्तम्भ की। विगत एक वर्ष पूर्व शहीद स्तंभ कूड़े के ढेर में तब्दील था बाजारवासी अपने घरों व दुकानों का कूड़ा कचरा शहीद स्तम्भ पर फंेका करते थे जिस कारण शहीद स्तंभ कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका था। तत्पश्चात कूड़े के ढेर में तब्दील शहीद स्तंभ नामक शीर्षक से खबर तेजस टुडे ने प्रकाशित किया था। खबर को जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि तो सुध नहीं ली परंतु खबर को संज्ञान में लेते हुए ग्रामवासियों ने शहीद स्तम्भ की साफ सफाई की, मगर आज भी शहीद स्तंभ के अगल बगल कूड़ो का ढेर लगा हुआ है जबकि शहीद स्तंभ जौनपुर केराकत मार्ग पर स्थित होने से लगभग हर महीने उच्चाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का आना जाना लगा रहता है परंतु किसी की नजर उपेक्षित पड़े शहीद स्तंभ पर नही पड़ती है जो विचारणीय योग्य बात है।
मुफ्तीगंज के शहीद स्तम्भ के सूरवीर का इतिहास बना अतीत
बता दें कि क्रांतिकारी जंग बहादुर पाठक ने कभी भी अंग्रेजों की अधीनता को स्वीकार नहीं की। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग-ए-आजादी में कूद पड़े और 44 अंग्रेजों को जौनपुर शाही पुल के पास मार गिराया था। धोखे से अंग्रेजी हुकुमत ने पसेवा गांव के समीप पकड़कर एक महीने के कारावास में रखकर उनके साथ बर्बता की सारी हदें पार की गयी जिससे कारण उनका निधन हो गया। उनकी वीरता व शौर्य की याद में मुफ्तीगंज बाजार के मध्य में शहीद स्तम्भ का निर्माण कराया गया है परंतु आज भी शहीद स्तंभ के अगल बगल कूड़ों का ढेर लगा हुआ है।
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