JAUNPUR NEWS : मिर्गी का उपचार सम्भव: डा. हरिनाथ यादव
शुभांशू जायसवाल
जौनपुर। नगर के नईगंज में स्थित श्री कृष्णा न्यूरो एव मानसिक रोग चिकत्सालय पर गुरूवार को संगोष्ठी का आयोजन हुआ जहां वरिष्ठ न्यूरो साइकेट्रिस्ट डॉ हरिनाथ यादव ने बताया कि देश भर में हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी (नेशनल एपिलेप्सी) दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश होता है कि हर साल मिर्गी पीड़ित व्यक्तियों के साथ उसके परिवार को भी इस बीमारी के प्रति जागरूक करना। डा. यादव ने बताया कि आखिर किन व्यक्तियों को होती है मिर्गी और किस स्थिति में उन्हें अचानक पड़ने लगते हैं दौरे। WHO की आंकड़े के अनुसार विश्व में मिर्गी से हर 100 लोगों में से एक ग्रस्त है। इस आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 1.3 करोड़ लोगों को यह बीमारी है। इसमें से सिर्फ 2.7 लोग ही विचार लेने पहुंचते हैं।
क्या होती है मिर्गी पर उन्होंने बताया कि मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है। (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर)। इसमें मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका (न्यूरो सेल) गतिविधि बाधित हो जाती है जिसके कारण दौरे या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार उत्तेजना और कभी-कभी बेहोश हो जाती है। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी जीन (जेनेटिक) में गड़बड़ी और ब्रेन की नर्व का ठीक से काम ना करने पर व्यक्ति मिर्गी से पीड़ित हो जाता है।
इन्फेक्शन के बारे में उन्होंने बताया कि यदि जन्म के समय बच्चे को पीलिया हो गया हो तो या फिर उसके ब्रेन तक किसी इंफेक्शन की वजह से पूरी ऑक्सीजन ना पहुंच पाए हो तो भी व्यक्ति मिर्गी से पीड़ित हो सकता है। यदि किसी हादसे में किसी व्यक्ति को सिर पर चोट लग गई हो तो वह मिर्गी का शिकार हो सकता है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक या ट्यूमर की समस्या भी मिर्गी का एक कारण बन सकता है। यदि मां के गर्भ में ही बच्चे को किसी तरह की चोट लग गई हो तो होने वाले बच्चे को मिर्गी की शिकायत हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को दिमाग की टीवी हो गई हो तो उसे मिर्गी की शिकायत झेलनी पड़ सकती है।
डॉ हरिनाथ ने बताया कि यदि व्यक्ति बेहद तनाव में रहता है तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। यदि किसी मिर्गी पीड़ित ने अपनी समय—समय से लेना बंद कर दिया हो तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। इसके अलावा ज्यादा शराब पीना। कम नीद लेना। हार्मोन्स में बदलाव। ब्लड शुगर का कम हो जाना। ब्लड प्रेशर का कम हो जाना। बेहद रोशनी में आना।
इस बीमारी से बचने के लिये उन्होंने बताया कि ड्रग्स और शराब से बचें। अपने डॉक्टर द्वारा सलाह लें और निर्धारित सभी दवाएं लें। तेज चमकती रोशनी और दृश्यात्मक उत्तेजना से बचें।जितना संभव हो टीवी और कंप्यूटर के आगे ज्यादा समय तक ना बैठे। वीडियो गेम खेलने से बचे। तनाव से दूर रहे।
मिर्गी दौरे के समय क्या करें, पर डॉ यादव ने बताया कि मरीज के कपड़े खास तौर पर गर्दन के आस—पास वाले कपड़े ढीले कर दें, ताकि मरीज को सांस लेने में तकलीफ ना हो। मिर्गी के रोगी को कभी दबाना नहीं चाहिए। मरीज को धीरे-धीरे उसकी करवट पर लेटा दे। मरीज को चोट से बचने के लिए आसपास के फर्नीचर अथवा धारदार वस्तु हटा दें। मरीज को दौरा पड़ने पर जबरदस्ती पकड़ने या रोकने की या मुंह में कुछ डालने की कोशिश ना करें। मरीज के मुंह को साफ रखें। मिर्गी आने पर मरीज को बदबूदार जूते या सड़ा प्याज न सुंघाए। दौरा खत्म होने के बाद मरीज जब तक होश में ना आ जाए उसे अकेला ना छोड़े और ना ही कुछ खिलाने की कोशिश करें। यदि मरीज का दौरा 5 मिनट से अधिक रहता है या फिर पहले दौरे के तुरंत बाद दूसरा दौरा पड़ जाता है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। इस अवसर पर डॉ सुशील, लालजी सहित हॉस्पिटल स्टाफ एवं मरीज उपस्थित रहे।
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