Jaunpur News : विश्वविद्यालय के अस्पष्ट आदेश से महाविद्यालय के शिक्षक परेशान
जौनपुर। आगामी 16 जनवरी तक उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों एवं उनसे संबंधित महाविद्यालयों को भौतिक रूप से बंद करने का आदेश जारी किया किंतु सोमवार को जौनपुर के अधिकतर महाविद्यालय खुले रहे जहां छात्र तो भौतिक रूप से अनुपस्थित रहे किंतु शिक्षकों को उपस्थित रहना पड़ा और महाविद्यालय प्रशासन शिक्षकों को लेकर गम्भीर नहीं दिखा आपको बता दें की महाविद्यालयों में कई शहरों के शिक्षक एकत्रित होते हैं जिसमे वाराणसी और जौनपुर शहर के अधिकतर शिक्षक है, ऐसे में संक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाती है। अगर कोई एक शिक्षक करोना संक्रमित होता हैं तो ऐसे में अन्य शिक्षकों के संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
शिक्षकों की सुरक्षा और संक्रमित होने की जिम्मेदारी कौन उठाएगा? क्या किसी शिक्षक के संक्रमित होने पर महाविद्यालय प्रशासन जिम्मेदारी लेगा अथवा उच्च शिक्षा विभाग खर्च वहन करेगा? विश्विद्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति/अवकाश आदेश पत्र में यह कहीं स्पष्ट नहीं लिखा कि शिक्षक अपनी सुविधानुसार महाविद्यालय अथवा घर से अथवा किसी साइबर सेंटर से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर सकते हैं। ऐसे में महाविद्यालय प्रशासन अथवा विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षकों को महाविद्यालय आने के लिए बाध्य कर सकता है।
जो सोमवार को अधिकतर महाविद्यालयों में देखने को मिला। करोना के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश और विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से प्रदेश में संचालित सभी विश्वविद्यालय एवं उनसे संबद्ध महाविद्यालयों को आगामी 16 जनवरी तक औपचारिक रूप से बंद करने की घोषणा की किंतु आदेश में अस्पष्टता के कारण महाविद्यालयों में सोमवार के दिन ऊहा पोह की स्थिति बनी रही, कुछ महाविद्यालय पूर्ण रुप से बंद रहे जबकि अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के महाविद्यालय खुले रहे। ऐसे में प्रशासन द्वारा जारी आदेशों की धज्जियां इस प्रकार उड़ाई जा रही कि भयंकर रूप से करोना के बढ़ते संक्रमण के बीच भी महाविद्यालय में शिक्षकों का जाना मजबूरी बन गया है। एक महाविद्यालय के प्रशासन से संपर्क करने पर पता चला कि विश्वविद्यालय के तरफ से जारी अधिसूचना/ पत्रक में यह स्पष्ट नहीं है कि 10 जनवरी से चलने वाली ऑनलाइन कक्षाएं महाविद्यालय द्वारा संचालित होंगी अथवा शिक्षक इसे खुद को सुरक्षित रखते हुए घर से संचालित करेंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित महाविद्यालय के शिक्षक ऐसे ऑनलाइन कक्षाएं नेटवर्क कमियों के चलते अथवा उचित संसाधनों के अभाव में महाविद्यालय से संचालित करने में सक्षम नहीं है। शिक्षक संसाधनों और खराब नेटवर्क के आभाव में कक्षाएं सुचारू रूप से घर से भी संचालित नही कर पाते है। किंतु संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच शिक्षकों को महाविद्यालय बुलाना, विश्वविद्यालय प्रशासन के पत्रक में स्पष्ट आदेश का ना होना, उच्च शिक्षा विभाग के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा। प्रशासन ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह स्पष्ट नहीं किया कि महाविद्यालय में उपस्थित रहकर ऑनलाइन कक्षाएं लें अथवा घर से सुरक्षित रहकर ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करें! पिछले वर्ष के दौरान जब प्रदेश में लोक डाउन चल रहा था तब ऐसी विषम परिस्थितियों में भी शिक्षकों को महाविद्यालय जाना पड़ा था, जिसमें कई शिक्षक संक्रमित भी हुए।
शासन प्रशासन ने इसे संज्ञान में नहीं लिया और अब प्रतिदिन लाखों की संख्या में जब करोना के मरीज मिल रहे हैं तो ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग/ विश्वविद्यालय द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट न होना कि शिक्षकों को बुलाया जाय या नही, शिक्षकों के परिवार वालो के लिए चिंता का विषय है। महाविद्यालय में छात्र छात्राओं का पठन-पाठन भौतिक रूप से रोक दिया गया है, तो ऐसे में शिक्षक दूरदराज कई शहरों से एक जगह इकट्ठा हो रहे हैं तो संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ रहा अब ऐसे में अगर एक शिक्षक दूसरे शिक्षक के संपर्क में आता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा यह एक यक्ष प्रश्न है। मैं उत्तर प्रदेश सरकार से मामले ने हस्तक्षेप का आग्रह करूंगा और उच्च शिक्षा विभाग से यह निवेदन करूंगा कि विश्वविद्यालयों को स्पष्ट निर्देशित करें की महाविद्यालयों को शिक्षक भी ऑनलाइन कक्षाओं हेतु महाविद्यालय में एकत्रित ना हो। ऐसी कक्षाएं वह अपनी सुविधानुसार घर से अथवा किसी साइबर सेंटर से संचालित करें।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।