रामकथा सुनने के लिये प्यास, प्रयास व प्रसाद का होना जरूरी: जगद्गुरु रामदिनेशाचार्य
शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। जानकीकुंड स्थित श्री रघुवीर मन्दिर ट्रस्ट (बड़ी गुफा) में चैत्र रामनवमी के उपलक्ष्य में चल रही नवदिवसीय श्री रामकथा का श्रद्धालुओं को रसपान करा रहे अयोध्या हर्याचार्य आश्रम से पधारे कथाव्यास जगद्गुरु रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने श्री रामकथा कथा का महत्त्व बताया।
उन्होंने कहा कि श्री रामकथा सुनने के लिए लोगो के अंदर तीन चीजें होनी चाहिए तभी रामकथा संभव है। पहला उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रथम प्यास जरूरी है। अर्थात उन्होंने बताया कि अगर आपको अच्छी प्यास लगी है तो आप तुरंत कैसा भी जल हो पी लेंगे, अगर प्यास नहीं है तो आप तमाम सवाल पूछेंगे। पानी कहां से लाए हो, कैसा है, किसका है। दूसरा इसके लिए प्रयास होना चाहिए कि हमको कुछ भी हो राम कथा का रसपान करना है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर प्यास लगी है तो आप प्यास बुझाने के लिए जल पाने का प्रयास करेंगे। इसी तरह उन्होंने बताया कि तीसरा प्रसाद पाने की इच्छा होनी चाहिए है। अर्थात उन्होंने भावार्थ बताते हुए कहा कि जब प्यास होगी तो जल के लिए प्रयास होगा और अगर प्यास बुझाने के लिए जल पाने का प्रयास होगा तो भूख भी लगेगी और भूख लगेगी तो प्रसाद की भी इच्छा होगी। अर्थात ये प्रभु कथा सुनने के लिए लोगो की आत्मा में प्यास, प्रयास और प्रसाद की में भावना होनी चाहिए और जिनके अंदर ये तीन चीजें विद्दमान हैं उन्ही को ये श्री रामकथा संभव है।
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