आत्ममंथन: अधिकारी मतदाता पुनरीक्षण में न करते लापरवाही तो जिले का बढ़ जाता मतदान प्रतिशत

आत्ममंथन: अधिकारी मतदाता पुनरीक्षण में न करते लापरवाही तो जिले का बढ़ जाता मतदान प्रतिशत

रायबरेली में लगभग 20 प्रतिशत लोग मतदाता सूची में नाम न होने से लोकतंत्र के महापर्व में नहीं ले पाये हिस्सा
मतदाता सूची में जिन्दा को दिखाया मुर्दा, नये मतदाताओं की भी तमन्ना रह गयी अधूरी, पुनरीक्षण के नाम पर खानापूरी
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। मतदान पड़ने के छः महीने पहले से ही जनपद में मतदाता पुनरीक्षण करवाकर जिले में मतदान प्रतिशत बढ़ाने का ताना-बाना जिले के आलाधिकारी बुनते जरुर हैं किन्तु सरकारी कर्मचारियों कि उदासीनता के चलते मतदाता सूची में मुर्दा जिंदा हैं और जिंदा मतदाताओं को मुर्दा दिखा दिया गया जो अपने आपको 20 मई को मतदान केंद्र के बाहर चीख चीखकर जिंदा साबित कर रहे थे परंतु उनकी न वोटों के ठेकेदार सुनने वाले थे और न ही सरकारी मशीनरी। सरकार व चुनाव आयोग लगातार मत प्रतिशत बढ़ाने को लेकर तत्पर रहता है। मगर जिले के अधिकांश बूथों पर देखा गया है कि लोग अपने घरों से निकलकर वोट डालने तो पहुंचें, मगर वोटर लिस्ट से उनका या फिर उनके पूरे परिवार का नाम ही गायब मिला है जबकि सरकार मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए लगातार जनजागरूकता अभियान चलाती है और बीएलओ के माध्यम से चुनाव के पहले लोगों के नाम वोटर लिस्ट में डलवाने का काम करती है। इसके लिए सरकार लाखों रुपए खर्च भी करती है। उसके बाद भी अगर चुनाव के दिन लोग अपने मत का प्रयोग करने के लिए अपनी नजदीकी बूथ पर पहुंचते हैं और वहां देखते हैं कि उनका या उनके परिवार का नाम गायब है।
मतदान करने को लालायित ग्रामीण हताश होकर वापस लौट गये। इतना ही नहीं, बूथ केंद्रों के बाहर मतदाता यही कोसते नजर आए कि सरकार द्वारा जो धन चुनाव प्रचार के लिए किया जाता है, क्या मतलब है उसका? जब उन लोगों का नाम ही वोटर लिस्ट से गायब हो जाता है। रायबरेली की ऐसे बहुत से बूथ देखने को मिले जहां पर लोगों की भीड़ तो गई मगर वोटर लिस्ट में नाम न होने की वजह से वह लोग बैरंग वापस वहां से लौट आए। एक बार फिर से मतदाता पुनरीक्षण में अधिकारियों की लापरवाही के चलते हजारों मतदाता जिले में अपने मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित हो गए। नये युवा जिनकी कागजों में उम्र 21 वर्ष है किन्तु उनका नाम मतदाता सूची में अब तक नहीं शामिल हुआ। इससे स्पष्ट है कि यदि सरकारी मशीनरी लापरवाही न बरतती तो 20 मई को जिले में पड़े लोकसभा का मतदान 58% के करीब रहा वह प्रतिशत बढ़कर 70% तक हो सकता था।

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