चारागाह की 40 बीघा भूमि पर धान के बाद गेहूं की लहलहाने लगी अवैध फसल
प्रशासन की सांठ-गांठ कर भू-माफिया करते हैं लाखों कि कमाई
अनुभव शुक्ला
सलोन, रायबरेली। आज से कुछ माह पूर्व आप लोगों ने चारागाह की सुरक्षित भूमि पर धान की अवैध फसलों की खबर जरुर पढ़ी होगी जिसमें पूर्व भ्रष्ट तहसीलदार अजय कुमार की संरक्षण में भू माफियाओं ने धान की अवैध फसल काट लाखों रुपए की कमाई कर अपना रसूख बढ़ा लिया था। साथ ही कई संख्या में सामूहिक रूप से भूमाफियाओं ने चारागाह की ही भूमि पर अवैध मकान का निर्माण कर लिंटर भी डाल दिये थे जिसमें सिर्फ खानापूर्ति कर नोटिस तक ही कार्यवाही सीमित रह गई।
हालाँकि कुछ माह पूर्व भ्रष्ट तहसीलदार अजय कुमार के साथ एसडीएम व नायब तहसीलदार का भी तबादला हो गया किंतु सलोन तहसील का कार्यभार संभालने वाले तेज-तर्रार छवि से चर्चित उप जिलाधिकारी आसाराम वर्मा व तहसीलदार चंद्रशेखर यादव जिस तरह से कमान संभालकर बखूबी से अपने पद का निर्वहन कर रहे हैं, वे भूमाफियों पर शिकंजा इस बार कस पायेंगे या नहीं, यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है? जी हां, हम बात सलोन तहसील से महज 4 किलोमीटर दूर जगतपुर मार्ग पर स्थित राजस्व ग्रामसभा मटका की जहां अभिलेखों में चारागाह की लगभग 67 बीघा भूमि है पर अब मौके पर खाली एक भी बीघा नहीं है। प्रत्येक गाटा संख्याओं पर भूमाफिया अवैध कब्जा कर रखे हैं।
प्रशासन के संरक्षण में धान के बाद भूमाफियाओं ने चारागाह की लगभग 40 बीघा सुरक्षित भूमि में गेहूं की फसल की बुवाई कर दी है जिसमें वर्तमान समय में गेहूं की अवैध फसल लहलहाती देख भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हैं। हालाँकि यह कोई नई बात नहीं है। पूर्व के सन 2017 में तहसीलदार रहे राजेश चौरसिया ने लगभग नौ बीघा चरागाह की भूमि पर ट्रैक्टर चलवा फसल नष्ट करवाया था किंतु उसी क्रम में भू माफियाओं ने प्रशासन पर इस कदर अपनी रसूख के दम पर प्रभाव व प्रलोभन का दबाव डाला की तहसील प्रशासन भी भूमाफियाओं के आगे आज तक नतमस्तक ही है। यदि देखा जाए तो जो भी भूमाफिया चारागाह की सुरक्षित भूमि पर अवैध खेती कर रहे हैं, उन सभी भूमाफियों के बचाव के उद्देश्य से खानापूर्ति करते हुए राजस्व संहिता की धारा 67 की कार्यवाही कर बरी कर दिया जिससे भूमाफिया बेखौफ ढंग से चारागाह की भूमि में खेती कर तहसील प्रशासन को खुली चुनौती दे रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या इस बार सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी इन भूमाफियाओं पर प्रभावी कार्यवाही कर पायेंगे या फिर चारागाह कि सुरक्षित भूमि में अवैध खेती का सिलसिला जारी ही रहेगा…?
भू-माफियाओं के खेवनहार बने हल्का लेखपाल
यूं तो भू-माफिया सलोन तहसील प्रशासन की संरक्षण में चारागाह की सुरक्षित भूमि में अवैध खेती करते चले आ रहे हैं किंतु यदि बात क्षेत्रीय हल्का लेखपाल अमित पांडेय की करें तो भूमाफियाओं को संरक्षण देने में इनकी भी भूमिका कम संदिग्ध नहीं है। कुछ माह पूर्व चारागाह की सुरक्षित भूमि में धान की रोपाई से लेकर भूमाफियाओं के चारागाह की भूमि से धान की कटाई तक झूठी आख्या लगा उनके बचाव का जिम्मा इनके ही सिर पर था। धान की कटाई होने के बाद भी भूमाफियाओं को गेहूं की बुआई करने से न रोकने व भूमाफियों के इस कृत्य की जानकारी उच्चाधिकारियों को न देने के परिणाम स्वरूप एक बार फिर लगभग 40 बीघा चारागाह की सुरक्षित भूमि में भूमाफियाओं की अवैध फसल लहलहाने लगी। इससे स्पष्ट है की भूमाफियाओं की नैय्या पार करने में हल्का लेखपाल अमित की भूमिका अहम है।