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प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। वर्षा ऋतु में वातावरण में आर्द्रता अधिक होने के कारण पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है साथ ही उनमें पाचन सम्बन्धी समस्या भी सामने आती है। उक्त जानकारी राजकीय पशु चिकित्सालय पर तैनात पशुचिकित्साधिकारी डा. आलोक सिंह पालीवाल ने सोमवार को क्षेत्र के छीतमपट्टी स्थित अस्थायी गौशाला पर भ्रमण के दौरान लोगों से साझा किया।
उन्होंने बताया कि आम तौर पर उत्तर प्रदेश में 15 जून से 15 सितम्बर तक बरसात का समय होने के कारण वातावरण में आर्द्रता पायी जाने लगती है। ऐसे में परजीवियों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है जो पशुओं के स्वास्थ्य को हानि पहुचाते हैं। जिस कारण पशुओं मे लंगड़ा बुखार, गलाघोंटू, चेचक, खाज खुजली आदि रोग के साथ पेट में कीड़ी आदि की भी समस्या पैदा हो जाती है।
बरसात के दिनों में पशुपालक पशुओं के पीने के पानी का विशेष ध्यान देते हुए समय समय पर टीका लगवाएं और नजदीकी पशुचिकित्सक से परामर्श लेकर तीन महीने के अन्तराल पर कृमिनाशक दवा पिलाएं। इस तरह उचित देखभाल से हम पशुओं को स्वस्थ और निरोग रख सकते हैं।
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